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१७ पर्यायार्थिक नय ५७८
५. पर्यायार्थिक नय
समन्वय नय है, जैसे 'यह भील उन्ही भगवान वीर का जीव है, जो आज सिद्धालय में विराजित है, ऐसा कहना द्रव्यार्थिक नय का विषय है, क्योकि इसमे पूर्वोत्तर पर्यायों का परस्पर मे सम्बन्ध देखा जाता है । तथा 'भगवान वीर तो भगवान ही है, कौन कहता है कि वह भील है या भील थे' ऐसा कहना पर्यायार्थिक नय का विषय है, क्योकि भगवान की वर्तमान पर्याय को ही सत् रूप से देखते हुए, पूर्वोत्तर पर्यायों के सम्बन्ध का निरास किया जा रहा है । यही दोनो मे अन्तर है ।
६. प्रश्न --द्रव्यार्थिक, पर्यायार्थिक नयों व प्रमाण के विषयो को
दृष्टान्त द्वारा कुछ स्पष्ट करे ?
उत्तर --यद्यपि निर्विकल्प होने के कारण प्रमाण ज्ञान का कोई
उदाहरण नहीं हो सकता परन्तु स्थूलरूपेन एक दृष्टान्त देता हू, जिस पर से इन तीनो के अन्तर का कुछ आभास हो सकता है। ___ देखो कल्पना करो कि एक दिन अजायबघर ( Museum) देखने गये । हाल के द्वार मे प्रवेश करते ही आपने वहा पर फैली सर्व वस्तुओ को सामान्य रूप से एक ही दृष्टि मे देखा । एक सामान्य सा चित्रण आपके हृदय पट पर अंकित हो गया, पर उन्हे 'पृथक पृथक तथा कहा कहा क्या क्या रखा है' ऐसी विशेषता न जान सके, और सहसा ही कह उठे कि यहा तो बहुत कुछ देखने को है । पर क्या है, ऐसा देखने की इच्छा है ।
अब आप हाल मे एक सिरे से घूमकर नम्बर वार एक एक वस्तु को पृथक पृथक देखने लगे । और इस प्रकार