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१७. पर्यायार्थिक नय
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५ पर्यायार्थिक नय
समन्वय पंक्ति है और द्रव्यार्थिक का विषय उन मोतियों की पक्ति से विशिष्ट डोरा यही दोनों मे अन्तर है।
५ प्रश्न -अशुद्ध द्रव्यार्थिक नय सामान्य व पर्यायार्थिक नय सामान्य
मे क्या अन्तर है ?
उत्तर-द्रव्यार्थिक वस्तु के सामान्याश को ग्रहण करता है और
पयोयार्थिक विशेषाश को। भले ही अशुद्ध द्रव्यार्थिक मे अनेको विशेषो से विशिष्ट सामान्य का ग्रहण किया गया है, पर वहा सदा सामान्य ही प्रधान रहता है, विशेष नहीं। तथा पर्यायार्थिक मे विशेष से अतिरिक्त सामान्य अवस्तुभूत है, अतः तहा विशेष ही सर्वदा प्रधान है।
उदाहरणार्थ अशुद्ध द्रव्यार्थिक की द्वैत दृष्टि में तो 'यह गुण या पर्याय इस द्रव्य की है' ऐसा भेद आ सकता है, परन्तु पर्यायार्थिक मे . इसको अवकाश नही क्योकि उसकी सर्वथा एकत्व दृष्टि में केवल क्षणिक पर्याय ही सत् है, जिस में अन्य कोई विशेष दिखाई देता ही नही । सामान्य मे तो विशेष होता है पर विशेष मे अन्य नही होता, इसलिये सामान्य मे तो 'यह विशेष इस सामान्य का है' ऐसा कहा जा सकता है, परन्तु विशेष मे जब अन्य कुछ है ही नहीं तो कौन को किसका कहे । अतः पर्यायार्थिक मे द्वैत सम्भव नही। जब कि अशुद्ध द्रव्यार्थिक मे वह स्पष्ट है । यही दोनो मे अन्तर है ।
दूसरे प्रकार से कहे तो यो कह सकते है कि जिसमे वहीपने की प्रतीति होती रहे वह द्रव्यार्थिक