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१७ पर्यायार्थिक नय
५. पर्यायार्थिक नय
समन्वय कर्मोपाधि सापेक्ष होने के कारण अथवा अनुभवात्मक विभाव रस स्वरूप होने के कारण अशुध्द है । अतः इसका विभाव अनित्य अशुध्द पर्यायाथिक नथ ऐसा नाम सार्थक है । यह इसका कारण है। जोव व पुद्गल के दृष्ट व औदयिक भावों का परिचय देना इसका प्रयोजन है।
५ पर्यायार्थिक नय यहा तक पर्यायार्थिक नय के लक्षणादि
समन्वय दर्शाये गये, अब कुछ शकाओ का समाधान कर देना योग्य है ।
१ प्रश्नः-उत्पाद व्यय सापेक्ष अशुद्ध द्रव्यार्थिक व स्वभाव अनित्य
शुद्ध पर्यायार्थिक मे क्या अन्तर है ? उत्तरः--द्रव्यार्थिक मे तो उत्पाद व्यय विशिष्ट वस्तु की त्रिकाली
ध्रुव सत्ता का ग्रहण मुख्य है और उसका परिणमन गौण है, तथा पर्यायार्थिक में उस त्रिकाली ध्रुव सत्ता से निरपेक्ष वस्तु का त्रिकाली परिणमनशील स्वभाव मुख्य है।
२ प्रश्न-उत्पाद व्यय सापेक्ष अशुद्ध द्रव्यार्थिक नय व स्वभाव
अनित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक नय मे क्या अन्तर है ?
उत्तर-द्रव्यार्थिक मे उत्पाद व्यय से विशिष्ट त्रिकाल सत्ता
प्रधान है और उसका परिण मन गौण है, तथा पर्यायार्थिक मे उत्पाद व्यय से विशिष्ट एक पर्याय की क्षणिक सत्ता प्रधान है । अर्थात द्रव्यार्थिक तो त्रिकाल वस्तु को उत्पाद व्यय ध्रुव युक्त कहता है और पर्यायार्थिक एक समय की पर्याय को कथञ्चित उत्पाद व्यय ध्रुव युक्त कहता है।