________________
१७ पर्यायार्थिक नय ५५३
१ पर्यायार्थिक नय
सासान्य का लक्षण द्रव्यार्थिक नय है । इमसे विपरीत पर्यायार्थिक नय है। अर्थात द्रव्य को गौण करके पर्याय की सत्ता को ही
लोक मे जो ग्रहण करता है, वह पर्यायार्थिक नय है । २ का प्रा २७०"यः साधयति विशेपान् बहुविध सामान्य
सयुतान् सर्वान्। सावन लिङ्गवशादो पर्याय विपयनयो भवति १२७०।"
अर्थ-जो नय अनेक प्रकार सामान्य सहित (उसे मात्र गौण
करके) सर्व विशेप को उनके साधन के लिग के वश से सिद्ध करता है, वह पर्यायार्थिक नय है।
३. स. सा पा.१३ 'द्रव्यपर्यायात्म के वस्तुनि .पर्याय मुख्यत
यानुभावयतीति पर्यायार्थिक ।"
अर्थ-द्रव्य पर्यायात्मक वस्तु मे पर्याय को ही मुख्य रूप से जो
अनुभव करता है, सो पर्यायार्थिक नय है ।
४.प. घापू.१५१६ "अंशा. पर्याया इति तन्मध्ये विवक्षितोऽशः सः ।
अर्थोयस्येति मत. पर्यायार्थिक नयस्त्वनेकश्च ।५१९।"
अर्थ---अश नाम पर्याय का है । इसलिये इन अशो मे से विव
क्षित जो अश है, वही एक अश या पर्याय ही है प्रयोजन जिसका ऐसा यह पर्यायार्थिक नय मानने में आया है तथा वह अनेक प्रकार का है।
५. क. पा । १ह१८१।२१७।२“सादृश्यलक्षणसामान्येन भिन्नमभिन्न
च द्रव्यार्थिकाशेप विषयं ऋजुसूत्रवचनविच्छेदेन पाटयन् पर्यायार्थिक इत्यवगन्तव्यः ।"