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________________ १४ ऋजु सूत्र नय ३४५ किया जाये वैसे ही देखने पर इसको समझने में कोई कठिनाई नही पड़ सकती । सुविधार्थ यहां उपरोक्त सर्व लक्षणों का संक्षेप मे संग्रह कर देना चाहिये । १. २. ३. ४. ७. ८. ९. २. ऋजु सूत्र नय सामान्य के लक्षण जो सरल व सीधे विपय को सूचित करे सो ऋजुसूत्र है । सामान्य रहित केवल विशेष की स्वतंत्र सत्ता स्वीकार करता है । द्रव्य की व्यक्तिगत विशेष सत्ता मे सयोगादि तथा भावगत विशेष सत्ता मे अनेक स्वभावता सम्भव नही । ६. सर्वथा एक अखण्ड विशेष के ग्रहण मे द्रव्य की या क्षेत्र या काल की या भाव की अनेकता सम्भव नही । क्षण स्थायी विशेष एक सत्ता मे कर्ता-कर्म या कारण कार्य आदि भावो को अवकाश -- नही । द्रव्यादि चतुष्टयात्मक एक अखण्ड निस्सामान्य सत्ता में विशेषण - विशेष्य या गुण-गुणी आदि भेद सम्भव नही । भत व भविष्यत काल को मरण पर्यन्त की वर्तमान को स्वीकार करता है । छोड़कर वस्तु के जन्म से पर्याय मात्र की स्वतंत्र सत्ता एक पर्याय मात्र की सत्ता मे पूर्वोपर पर्यायो मे सम्बन्ध स्थापित करना कैसे सम्भव हो सकता है । पदार्थ को नाम भी वर्तमान पर्याय के अनुसार ही दिया जाना चाहिये ।।
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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