________________
-
१२. नैगम नय
३०१
७. नेगम नय के भेदो
का समन्वय एक जाति द्रव्यात्मक सामान्य है और वह व्यक्ति उसका विशेष है । अनेक सूक्ष्म प्रदेशों में अनुगत एक अखण्ड सस्थान क्षेत्रात्मक सामान्य है और वह एक प्रदेश उसका विशेष है। अनेक पर्यायो मे अनुगत एक त्रिकाली सत् कालात्मक सामान्य है, और एक वर्तमान समयवर्ती पर्याय उसका विशेष है । अनेक शक्ति अशों या अविभागप्रतिच्छेदों में अनुगत एक गुण भावात्मक सामान्य है
और वह एक शक्ति अश उसका विशेष है। १३ शंका -सामान्य और विशेप दोनों को ग्रहण करने के
कारण नैगम नय को प्रमाणपना प्राप्त हो जायेगा ।
उत्तर --नही होता, क्योंकि प्रमाण ज्ञान मे भेदाभेदात्मक समस्त
वस्तु का बोध किसी एक धर्म को गौण और किसी एक धर्म को मुख्य करके नही होता, जबकि नैगम नय किसी एक धर्म को गौण और किसी एक धर्म को मुख्य करके वस्तु का ग्रहण करता है ।।
१० सक्षिप्त उपरोक्त सर्व लक्षणों व शका समाधानो पर से
परिचय यही दर्शाया गया है कि एक अखण्ड वस्तु कितने पड़खों से पढ़ी जा सकती है । केवल अखण्ड पिण्ड निर्विकल्प द्रव्य को देखकर उसका सामान्य परिचय प्राप्त किया जाता है । इसके अन्तर्गत पहिले उसके शुद्ध त्रिकाली एक सामान्य स्वभाव को जानकर और फिर उसकी त्रिकाली अन्य शुद्धाशुद्ध पर्यायों के संग्रह को दर्शाकर भी उसका परिज्ञान किया जाता है। उसी अखण्ड वस्तु का विभव जानने के लिये शुद्ध व अशुद्ध द्रव्य की ओर से देखने का अभ्यास, द्रव्य नैगम तथा उसके शुद्ध व अशुद्ध भेदो द्वारा कराया गया। उसी अखण्ड एक अद्वैत वस्तु का विशेष परिचय देने के लिये पर्याय की ओर से भी उसे दर्शाया गया। पाय-नैगम व उसके अर्थ