________________
१२. नैगम नय
२६४
७ नैगम मय के भेदो
का समन्वय " परिचय के बिना द्रव्य का एकान्त परिचय असम्भव होने
के कारण उसे सर्वथा विशेषण नहीं बनाया जा सकता
५. शंका - नैगम नय मे भी सर्वत्र वर्तमान काल सूचक संज्ञा
व्यवहार हुआ है और पर्यायाथिक नय भी केवल वर्तमान समय को विषय करता है। तब लोक में प्रचलित भूत व भावि सज्ञा त्यवहार किस नय का विषय बनेगा?
उत्तरः- ऐसा व्यवहार नैगम नय का विषय ही बनेगा । यद्यपि
इस प्रकार का प्रयोग नैगम नय के प्रकरण मे कही भी करके दिखाया नही गया है, परन्तु नैगम नय के द्वैत ग्राहक लक्षणो पर से इस बात को स्पष्ट देखा जा सकता है। "मैं कल देहली गया था, या मैं कल देहली जाऊँगा" इस प्रकार के सर्व प्रयोगों मे अदृष्ट रूप से द्वैत पढा जा रहा है, क्योकि कल शब्द आज की अपेक्षा रखकर ही प्रवृत्ति पाता है । द्वैत ग्राहक द्रव्याथिक नैगम नय मे ऐसा ग्रहण अवश्य किया जा सकता है। क्योकि वहा त्रिकाली पर्यायों मे अनस्यत एक द्रव्य की उपलब्धि होने के कारण', अथवा ज्ञान मे संकल्प मात्र उत्पन्न कर लेने के द्वारा, "जो मैं कल देहली मे था, वही मै आज यहा हूँ" ऐसा अनुभव किया जा सकता है । दो पर्यायो मे परस्पर सम्मेल देखे बिना अथवा कल्पना किये बिना ऐसे प्रयोग को अवकाश नही। पर्यायाथिक नय मे केवल एक वर्तमान पर्याय का ही ग्रहण होने के कारण इस प्रकार का सम्मेल बैठाया नही जा सकता । अतः इस प्रकार के प्रयोग पर्यायाथिक नय मे गर्भित नही किये जा सकते ।