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१२ नैगम नय
२८८ ६ द्रव्य पर्याय नैगम नय शुद्ध सुख' से अभिप्राय पारिणामिक सुख स्वभाव का सामान्य अस्तित्व है ।)
२. रा. वा हि. ।१।३३।१९६ “ससार विपै सत् विद्यमान सुख
है सो क्षण मात्र है । (ताका यह नैगम नय सकल्प करै है ।) यहा सत् शुद्ध द्रव्य है सो विगेषण है (तातै गौण भया ) । सुख' है सो अर्थ पर्याय है, सो विशेष्य है तातै मुख्य है । यहू शुद्ध द्रव्य अर्थ पर्याय नैगम नय है ।
शुद्ध द्रव्याथिक के विषय पर से श द्ध पर्यायाथिक का परिचय देने के कारण यह श द्ध द्रव्य पर्याय नय है । क्योंकि पर्यायों के दोनों भेदो मे से भी अर्थ पर्याय का संकल्प किया गया है इस लिये अर्थ पर्याय नय है । क्योंकि सकल्प मात्र के द्वारा ज्ञान मे द्रव्य सत् व पर्याय सत्' इस प्रकार के द्वैत मे अद्वैत किया गया है इस लिये नैगम है । अत इसका 'शुद्ध द्रव्य अर्थ पर्याय नैगम नय' ऐसा नाम सार्थक ही है । यह तो इस नय का कारण है। और पर्याय के निविकल्प अस्तित्व सामान्य का परिचय देना इसका प्रयोजन है।
३. शुद्ध द्रव्य ब्यञ्जन पर्याय नैगम नय --
शुद्ध द्रव्य अर्थ पर्याय नैगम नय वत् ही यहा भी शुद्ध व्यञ्जन पर्याय से तात्पर्य, उस उस पर्याय का निर्विकल्प एकत्व रूप अस्तित्व सामान्य है, जो शुद्ध पर्यायाथिक अर्थात स्वभाव अनित्य पर्यायाथिक का विषय है, और शुद्ध द्रव्य से तात्पर्य द्रव्य का निर्विकल्प अद्वैत रूप अस्तित्व सामान्य है, जो शुद्ध द्रव्याथिक का विषय है । ऐसे शुद्ध द्रव्य पर से या द्रव्य सामान्य रूप सत् पर से किसी भी व्यञ्जन पयाय के अस्तित्व का सकल्प करना शुद्ध द्रव्य व्यञ्जन पर्याय नेगम नय है।