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१२. नैगम नय
३. भूत र्वतमान व
भायि नैगम नय कहना, और इसी प्रकार भविष्य मे निप्पन्न होने वाले कार्य को भूतकाल में निष्पन्न हो गये वत स्वीकार करने वाला भावि नेगम नय है ।३। भविष्यत काल में परिणमेगी ऐसी अनिष्पन्न क्रिया विशेप को वर्तमान काल मे निष्पन्न कह देना भावि नैगम नय है।)
३ आ पा ।। ! ७६ "भाविनि भूतवत्कथन यत्र स भावि
__ नैगमो यथा अर्हन् सिद्ध एव।"
(अर्थ - भावि काल को जहा भूतवत कहन में आये सो भावि
नैगम नय है जैसे--'अर्हन्त भगवान सिद्ध ही है' ऐसा कहना।)
४. ध. ७।गा १।२८ "किसी मनुष्य को पापी लोगो का समागम
करते हुए देख कर नैगम नय से कहा जाता है कि यह पुरुष नारकी है।")
अर्थ- यद्यपि अभी नारकी नही है परन्तु भविष्य मे नारकी
हो जाने का निश्चय अवश्य है । इस निश्चय के आधार पर उसे वर्तमान मे ही नारकी कह देना भावि नगम नय से न्याय सगत है।)
५ ध.।१३।३०३।३१“भूत व भविष्यत पर्यायों को वर्तमान रूप
स्वीकार कर लेने से नैगम नय में यह व्युत्पत्ति बैठ जाती है।'
६ स सि ।७।१९।५३-५४ "शका:--अगारिणो असकल व्रतत्वात्
व्रतित्वम् न प्राप्नोति ?