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________________ २५० १२. नैगम नय ३. भूत र्वतमान व ____ भावि नैगम नय किसी व्यक्ति का भोला पना देख कर कदाचित यह कह दिया जाता है कि 'तू तो अभी बच्चा ही है' । वाक्य मे उसे बच्चा कह दिया गया है, यद्यपि वर्तमान मे तो वह वच्चा नही बल्कि कई वच्चों का पिता है । फिर भी प्रयोजन वश उसे यहा बच्चा कह दिया गया है । सो ऐसा सुनकर म्रम मे पड़ने की आवश्यकता नही। उसका भोला पना छुड़ाकर उसे चतुर बनाना अभीष्ट है, ऐसे प्रयोजन जान कर जिस प्रकार इस वाक्य का ठीक ठीक अर्थ आप समझ जाते हैं और भ्रम मे नही पड़ते, उसी प्रकार इस अध्यात्म मार्ग मे कदाचित इस प्रकार के वाक्य का प्रयोग करने मे आये तो भ्रम मे पडना नहीं चाहिये, बल्कि उस नय के प्रयोजन को जानकर ठीक ठीक अर्थ का ग्रहण कर लेना चाहिये । __इसी प्रकार किसी ऐसे व्यक्ति को जो पहिले आपके यहा नौकरी करता था पर पुण्योदय से आज धनवान बन गया है, आप कदाचित यह कह देते है कि तू वही मेरा पहिले वाला नौकर ही तो है । यहां भी आप भूत कालीन क्रिया का प्रयोग न करके अर्थात 'नौकर था' ऐसा न कहकर 'नौकर है' ऐसा वर्तमान कालीन प्रयोग करते हो । आज नौकर नही है, फिर भी 'नौकर है' ऐसा कहने मे आपका कुछ प्रयोजन है । या तो आप अपने अभिमान वश उसे नीचा दिखाना चाहते हो, या उसका गर्व तुडाकर उसमे सरलता लाना चाहते हो । और यथा अवसर वाक्य मे न कहा गया भी वह अभिप्राय आप पढ़ लेते हो, यह शका नही करते कि वर्तमान मे तो यह धनवान है, इस नौकर है' ऐसा क्यो कहते हो, 'नौकर था ऐसा कहिये । नौकर वाली पूर्व पर्याय और धनिक वाली वर्तमान पर्याय एक ही व्यक्ति मे जड़ी हुई होने के कारण उपरोक्त सकल्प मिथ्या नही कहा जा सकता। इसी प्रकार अध्यात्म मार्ग मे भी सिद्ध प्रभु को संसारी तथा भगवान वीर को भील कहा जा सकता है । अथ वा 'आज दीवाली के
SR No.009942
Book TitleNay Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherPremkumari Smarak Jain Granthmala
Publication Year1972
Total Pages806
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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