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११. शास्त्रीय नय सामान्य .. २२६५. सात नयो में उत्तरोत्तर
सूक्ष्मता सूक्ष्म है, व्यवहार उससे भी सूक्ष्म है और ऋजु सूत्र व्यवहार से भी अधिक सूक्ष्म है । ऋजु सूत्र से भी आगे शन्द नय सूक्ष्म, समभिरूढ़ सूक्ष्म तर और एवंभूत सूक्ष्म तम है। इस वात का विशेष स्पष्टीकरण उन उन नयों के लक्षणादि हो जाने के पश्चात भली भाति हो जायेगा।
इनकी उत्तरोत्तर सूक्ष्मता को दर्शाने के लिये धवलाकार ने एक उदाहरण दिया है।
ध ।७।२८। गा १-६ का अनुवाद
१. किसी मनुष्य को पापी लोगों का समागम करते हुए देखकर नैगम नय से कहा जाता है कि यह पुरुष
नारकी है ।। २. ( जब वह मनुष्य प्राणिवध करने का विचार करके
सामग्री का संग्रह करता है, तब वह सग्रह नय से नारकी कहा जाता है।
३. व्यवहार नय का वचन इस प्रकार है-जब कोई मनुष्य हाथ मे धनुष और बाग लिये मृगो की खोज में भटकता फिरता है, तब वह नारकी कहलाता है ।२।
४. ऋजु सूत्र नय का वचन इस प्रकार है-जब आखेट
स्थान पर बैठकर पापी मृगो पर आघात कर । वह नारकी वहलाता है ।। ५. शब्द नय का वचन इस प्रकार है-जब जन्तु प्राणो से वियुक्त कर दिया जाये तभी वह आघात करने वाला हिंसा-कर्म से संयुक्त मनुष्य नारकी कहा जाये ।४।