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११. शास्त्रीय नय सामान्य २१५ २. वस्तु के सामान्य व
विशेष अश गुण पर्यायों मे सूक्ष्म स्थूल रूप से तथा द्रव्य क्षेत्र काल भाव रूप से रहने वाला अर्थ तो अनन्त है, परन्तु शब्द संख्यात मात्र से अधिक होने ही असम्भव है । दूसरी बात यह है कि शब्द केवल स्थूल अर्थ को विषय कर सकता है, सूक्ष्म को नही और जगत मे स्थूल की अपेक्षा सूक्ष्म अर्थ बहुत है । इसलिये शब्द का विषय अर्थ की अपेक्षा अत्यन्त अल्प है ।इस प्रकार तीनों नयों के विषयों मे महान व लघु पना जान लेना चाहिये ज्ञान नय का विषय महान् है, अर्थ नय का उससे कम
और शब्द नय का सब से .कम । . आगे आने वाली सात नयों मे नैगम ज्ञान नय भी है और अर्थ नय भी । सग्रह, व्यवहार व ऋजु सूत्र ये तीन नये अर्थ नय ही है । शब्द समभिरूढ और एवंभ्त ये तीन शब्द नय ही है । इस प्रकार उन सातो में एक नैगम नय ज्ञान नय है, नैगम संग्रह व्यवहार व ऋजु सूत्र ये चार नयें अर्थ नय हैं और शब्द समाभिरूढ तथा एवंभूत ये तीन नय शब्द नय है । आगे इन्ही का सरल भाषा मे दृष्टान्त आदि दर्शा कर व्याख्यान किया जायेगा।
शास्त्रीय सात नयों का विशेष व्याख्यान, प्रारम्भ करने से २. वस्तु का पहिले यहां पूर्व कथित अर्थनय का सामान्य
सामान्य व परिचय दे देना योग्य है क्योकि आगम में विशेष अश सर्वत्र अर्थ नय का ही कथन किया जाता है, ज्ञान व शब्द नय का कथन तो केवल उन नयो के लक्षण करके उनका किंचित परिचय कराने मात्र के लिये होता है। अथवा कदाचित कदाचित ही उनका प्रयोग करने मे आता है । अत इस ग्रंथ मे अर्थ नय का ही विस्तार किया जायेगा । अत. ज्ञान नय या शब्द नय के विशेषण से रहित जितना कुछ भी कथन या विस्तार या नयों के भेद प्रभेद आगे इस ग्रय मे अथवा अन्यत्र आगम मे किया गया है वह सब अर्थ नय की अपेक्षा ही किया गया समझना चाहिये।