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६. द्रव्य सामान्य
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७. द्रव्य व अंगो सम्बधी
समन्वय
नं. १ वाले ढंग से देखने पर तों उसमें भाग दौड़ होती दिखाई देगी जैसे कि रोज देखने मे आता है । पर नं. २ वाले ढ़ंग से देखने पर तो सब फोटो यथा स्थान जड़े हुये स्थिर दिखाई देंगे ।
पहिले ढंग से देखने पर आपको दृष्टि के सामने एक समय मे एक ही फोटो आता है, वह आगे सरक जाने के पश्चात फिर दूसरा आता है, परन्तु दूसरे ढंग से देखने पर इस प्रकार क्रम नही रहता, सारे फोटो एक साथ दृष्टि मे आ रहे है । या यो कहिये पहिले ढंग मे तो आगे आगे के फोटो देखते समय पीछे और आगे संख मूंदे ली जाती हैं पर दूसरे ढंग मे आख बराबर खुली रहती है ।
बस प्रत्येक वस्तु को भी पढ़ने के दो ढंग है उसकी प्री फिल्म मे से उसका एक एक फोटो क्रम से देख कर या उसकी सारी की सारी फिल्म को एक साथ देख कर । पहले ढंग से एक समय का द्रव्य- या द्रव्य पर्याय देखी जाती है और दूसरे ढंग से त्रिकाली द्रव्य । पहिले ढंग से वस्तु बदलती हुई दिखाई देगी पर दूसरे ढंग से स्थिर, मानों उसकी सारी पर्याये वस्तु में पहिले से टाकी से खोद दी गई हो । यह बात विशेष ध्यान में रखने योग्य है, क्योकि आगे त्रिकाली ज्ञान की बात आयेगी वहां यह बताया जायेगा कि इस ज्ञान में वस्तु बदलती नही, सदा जूकी तू बनी रहती है ।
द्रव्य, गुण पर्याय का स्पष्ट चित्रण खेचंकर दिखाईये ।
उत्तर ठीक है देखिये । पहिले एक गुण 'क' नाम का लीजिये ।
- इसकी सारी त्रिकाली पर्यायों की एक फिल्म बना कर हृदय पट पर बिछा लीजिये | अब दूसरा 'ख' नाम का गुण लीजिये
५ प्रश्न
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