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६. द्रव्य सामान्य · ११० ७. द्रव्य सामान्य व अगो सम्बन्धी
समन्वय आज का फोटो स्पष्ट है, आगे आने वाले बुढ़ापे व मृत अवस्या का फोटो कुछ अस्पष्ट है । पर अस्पष्टता ज्ञान की कमी के कारण है । प्रत्यक्ष ज्ञान मे यह भी स्पष्ट हो जाता है । यह तो आपके छोटे जीवन की फिल्म हुई । देखिये मे अपने पूर्ण जीवन की फिल्म खेचकर दिखाता हूँ, जो मेरे ज्ञान मे प्रत्यक्ष पडी हुई है। देखिये इसमे न.१ का फोटो निगोद का रूप है, दूसरा फोटो घास के रूप का, तीसरा आग्नि के रूप का और इसी प्रकार यह देखिये आगे आगे वायु, कीड़ा, चीटी, मक्खी, भवरा, ततया, चिडिया, तोता, मछली, सर्प, वृक्ष, नारकी, गाय, बैल, घोडा, देव फिर कीडा, चूहा, मनुष्य, यह यहा तक तो भूत काल की २२ अवस्थाओं के फोटो नम्बर वार इस पर चित्रित है । और आगे चलिये । देखिये यह देव, फिर मनुष्य, मुनि, अर्हत और यह दखिये सिद्ध इस प्रकार यह पांच फोटो भविष्य काल की सारी यथा योग्य अवस्थाओं के भी नम्बर वार इस पर स्पष्ट चित्रित है । बस मेरे जीवन की २७ फोटो वाली फिल्म तैय्यार हो गई। इसमे न पहले की कोई पर्याय छुट पाई है और न पीछे की ।
सिनेमा की फिल्मवत् इसको देखने के दो तरीके है ।
(i) या तो इसे मशीन पर चला कर जैसे साधारणत देखने मे आती है उस प्रकार देखले ।
(i) और या इसे सामन दीवार पर लम्बी लटका कर देखते । या यों कहिये कि किसी ऐसी कल्पनिक मशीन के द्वारा देखले जिससे कि उस सारी लम्बी फिल्म के आकार यथा स्थान जड़ हये सामने पर्दे पर, एक लंबी फैली हई फिल्म के रूप में ही आ जाये।