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६. द्रव्य सामान्य १०५६. साराश
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..'६. साराश उपरोक्त सर्व कथन पर से यह सिद्धान्तिक नियम । निकले ६. साराश 'जो याद कर लेने योग्य है--
१. गुणव पर्यायों का एक रसरूप अखन्डपिण्ड द्रव्य है।
अतः गुण वे पर्याय इसके विशेष हैं। २. विशेष का नाम ही पर्याय है । वह दो प्रकार हैअक्रमवर्ती व क्रमवती । अक्रमवर्ती पर्याय को गुण
और क्रमवती को पर्याय कहते है । -- ३. गुण वस्तु के सामान्य अग है । वे इसमे सर्वदा व सर्वत्र
- व्यापकर-रहते है । ४. पर्याय गुण के विशेष परिवर्तनशील अंग हैं ।
५. पर्याय के बदल जाने पर गुण या वस्तु बदलते हुए ___ भी नही बदलते। ६. एक पर्याय वस्तु मे सर्वत्र तो रहती है पर सर्वदा नहीं ७ ..वस्तु मे केवल एक गुण की,एक पर्याय ही दृष्ट होती - है, सर्व नही । अनुभव या प्रत्यक्ष पर्यायों का होता है
वस्तु व गुण का नही। ८. ज्ञान वस्तु से अधिक है। इसमें वस्तु की त्रिकाली , - पर्याये दृष्ट होतो है । वस्तु मे केवल एक समय की . ही पर्याय दृष्ट होती है। ९. एक गुण की पर्याय को गुण पर्याय कहते है ।
१०. अनेक गुणो की एक समयवर्ती एक एक पर्यायों के ..समूह को द्रव्य पर्याय कहते है।