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६ द्रव्य सामान्य
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३. पर्याय
वाले पुरुप मे जो बुढापा दृष्ट हो रहा, है वह क्या उसमे एक दम आ गया या धीरे धीरे ही आया है ? उत्तर स्पष्ट है कि एक दम आना असम्भव है, धीरे धीरे ही आया है । तव प्रश्न होता है कि कव से आना प्रारभ हुआ है, क्या १० वर्ष पूर्व से या २५ वर्ष पूर्व से ? सूक्ष्म रूप से विचार करने पर इस प्रकार की कोई सीमा नही वान्धी जा सकती । वास्तव मे तो पैदा होने के उत्तर क्षण मे ही वह मनुष्य अपने बुढापे के प्रति एक पग आगे बढ गया था। और इसी प्रकार दूसरे तीसरे आदि क्षणो मे भी वरावर वुढापे के प्रति गमन करता हुआ, अपनी आयु के अनेकों क्षण, मास व वर्प पीछे छोड़ता गया, और आज ८० वर्ष पञ्चात वह पूर्ण रूपेण बूढ़ा दिखाई दे रहा है। इसी प्रकार वस्त्र धुलने के उत्तर क्षण से ही मैला होना प्रारभ हो गया । स्तम्भ बनने के उत्तर क्षण से ही र्जीण होना शुरू हो गया । ____ यदि प्रथम क्षण मे ही वस्तु के अन्दर कोई परिवर्तन न आता तो दूसरे क्षण मे भी न आता । और इस प्रकार तीसरे चौथे आदि क्षणो मे भी न आता । तव तो वस्तु वदलती ही कैसे ? अत. सिद्ध हुआ कि जो परिवर्तन दृष्ट होता है वह वास्तव मे कोई एक परिवर्तन नही है, बल्कि अनन्तों क्षणिक परिवर्तनो का सामूहिक फल है । भले ही अपनी अल्पज्ञता के कारण हम उस क्षणिक परिवर्तन को जान न सके पर उपरोक्त युक्ति पर से सिद्ध अवश्य कर सकते है।
इस सूक्ष्म परिवर्तन को या प्रति क्षणवर्ती सूक्ष्म पर्याय को अर्थ पर्याय कहते है और उनके सामूहिक फल स्वरूप दिखने वाली स्थूल पर्याय को व्यञ्जन पर्याय कहते हैं, क्योकि वह अत्यन्त व्यक्त है । सूक्ष्म अर्थ पर्याय प्रत्येक वस्तु मे प्रतिक्षण स्वभाव से ही होती रहती है, अतः वे तर्क की विषय नही है।
ये दोनों ही अर्थ व व्यञ्जन पर्याय भी दो दो प्रकार की होती हैशुद्ध व अशुद्ध तहां शुद्ध द्रव्यों की दोनो ही पर्याय शुद्ध है और अशुद्ध द्रव्यों