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६. द्रव्य सामान्य
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____.. -३ पर्याय
प्रयत्न किया गया है कि द्रव्य क्षेत्र या प्रदेश प्रमुख होता है और गुण भाग प्रमुख । जैसे 'आम' कहने पर उस आकृति विशेष का फल लक्ष्य मे आता है, और 'मीठा' कहने पर उस के स्वाद का भाव दृष्टि में आता है।
- उपरोक्त कथन पर से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि द्रव्य प्रदेशात्मक स्वीकार किया गया है, जब कि गुण भावात्मक । इसलिये द्रव्य व गुण की पर्याय के लक्षण करते समय भी यह बात ध्यान में रखनी चाहिये कि द्रव्यपर्याय प्रदेशप्रमुख मानी जाती है और गुण पर्याय भाव प्रमुख । इसी लिये आगम मे द्रव्यपयोय का लक्षण उस वस्तु या द्रव्य का सस्थान या आकृति किया गया है, और प्रदेश या सस्थान से अतिरिक्त उसके अन्य सर्व गुणो की पर्याय को गुण पर्याय नाम दिया गया है।
इस प्रकार द्रव्यपर्याय के दो लक्षण स्वीकार किये गये है। द्रव्य के लक्षण नं. १ के आधार पर कहा जा सकता है कि सम्पूर्ण गुणो की किसी एक विवक्षित समय की पृथक पृथक सम्पूर्ण पर्यायों का समूह ही उस विवक्षित समय का द्रव्य है यही द्रव्य पर्याय है । द्रव्य के लक्षण नं. २ के आधार पर कहा जा सकता है कि द्रव्य के आश्रित अनेक गुणो मे से केवल प्रदेशत्व गुण की पर्याय को द्रव्यपर्याय कहते है और उससे अतिरिक्त अन्य सर्व गुणो की पृथक् पृथक् पर्याय को गुण पर्याय कहते है। द्रव्य पर्याय का दूसरा नाम व्यज्जनपर्याय और गुण पर्याय का दूसरा नाम अर्थपर्याय भी है।
दूसरे प्रकार से भी अर्थ व व्यज्जन पर्याय के लक्षण किये गये है। वस्तु में जो परिवर्तन स्थूल दृष्ट से देखने में आता है, उसके संबंध में विचार करने से पता चलता है कि वह परिवर्तन वास्तव में प्रतिक्षण होने वाले किसी सक्ष्म परिवर्तन का फल है। जैसे बालक से वृद्ध होने