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द्रव्य सामान्य
१.नयों को जानने का प्रयोजन, २. द्रव्य व उसके अंगों का परिचय, ३. पर्याय, ४. वस्तु . के स्वचतुष्टय,५. सामान्य व विशेष६. सारांश ७. द्रव्य के अंगों सम्बन्धी समन्वय
१. नयों को जानने बिना प्रयोजन के कोई कार्य करना पुरुषार्थ को
का प्रयोजन व्यर्थ खोना है, सो बुद्धिमानों का कार्य नहीं । इसीलिये वर्तमान का यह नयका प्रकरण सीखने व सिखलाने के इस कार्य का भी प्रयोजन बराबर दृष्टि में बैठाये रखना चाहिये । इसका प्रयोजन व्यर्थ सीखना अथवा विद्वान बनकर दूसरे को समझाने की भावना को उत्तेजित करना नहीं है, बल्कि ज्ञान मे सरलता उत्पन्न करके इसमे पड़े एकान्त या खेचातनी का अभाव करके इसकी सरलता का रस पान करने मात्र के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं है ।