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मेरठकी ओर अलीगढ़से भाकुरी ६ मील है। यहाँ पर ठहर गये । प्रातःकाल यहाँसे ४ मील चलकर नगरियाकी धर्मशालामें भोजन किया। १२१ बजे सामायिक कर चल दिये और ३ बजे गुहानाकी धर्मशालामे ठहर गये । यहाँ पर १ बाग है। बीचमें १ छोटा सा सरोवर है। उसमें शिवजीका मन्दिर है। वाग सुन्दर है। यहाँ पर अलीगढ़से ५ मनुष्य आये । उनसे स्वाध्यायकी बात हुई तो उत्तर मिला करते हैं। हम इतरको उपदेश दानमें चतुर हैं स्वयं करनेमें असमर्थ हैं। केवल वेष बना लिया और परको उपदेश देकर महान् बननेका प्रयत्न है । यह सब मोहका विलास है। गुहानासे ५ मील चलकर एक स्थान पर भोजन किया । यहाँ पर १ अग्रवाल मनुष्य बहुत ही सज्जन था जिसका नाम मुझे स्मृत नहीं रहा । उसने घरसे लाकर ऽ२ सेर गुड़, आटा, नमक, दुग्ध संघके अन्य लोगोंके भोजनके लिये दिया । बहुत ही श्रद्धासे भोजन कराया। जैनी लोगोंकी अपेक्षा इनमें श्रद्धा न्यून नहीं परन्तु जैनी त्यागी इसका प्रचार नहीं करते। यहाँसे चलकर दमारामें १ वैश्यकी दूकानमें ठहर गये। स्थान तो अच्छा था परन्तु मक्षिकाओंकी बहुलतासे खिन्न रहे। हम ६आदमी यहाँ रह गये। बाकी सब लोग खुरजा चले गये । ग्राम है, जलवायु उत्तम है । यहाँ एक वेदान्ती ठाकुर मिले, शान्तपरिणामी थे।
सं० २००५ माघ सुदी ३ को प्रातः १० बजे खुरजा पहुँच गये । यह वही खुरजा है जहाँ पर राणीवाले प्रसिद्ध सेठ रहते थे। उन्हींके