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मेरी जीवन गाथा वेदनाओंका अभाव करना चाहते हैं उन्हे उचित है कि पर पदार्थों का अपनाना त्यागे
। 'प्रशंसाकी इच्छासे कार्य प्रारम्भ करना आत्माको पतित बनानेकी कला है।'
'अपनी सुध भूलकर यह आत्मा दुःखका पात्र बना । गृहस्थों के जालमे आकर जैसे चुगके लोभसे चिड़ियां फंस जाती हैं वैसे ही त्यागी वर्ग मोह-जालमे फंस जाता है।'
'आत्माराम अकेला आया और अकेला ही जावेगा। कोई भी इसका साथी नहीं। अन्यकी क्या कथा, शरीर भी सुख-दुःख भोगनेमे साथी नहीं।'
'शुद्ध हृदयकी भावना नियमसे फलीभूत होती है। निर्माय [मायारहित ] ही कार्य सफल होता है।' ___ 'पर का भय मत करो। पर को अपनाना छोड़ो। परको अपनाना ही राग-द्वपमें निमित्त है।'
'भयसे व्यवहार करना आत्माकी वञ्चना है । मोक्षमार्गका सुगमोपाय अपनी अहम्वुद्धि त्यागो। मै कौन हूँ ? इसे जानो। इसे जानना कुछ कठिन नहीं । जिसमे यह प्रश्न हो रहा है वही तो तुम हो।' __ 'आत्मज्ञान होना कठिन नहीं किन्तु परसे ममता भाव त्यागना अति कठिन है।'
'सुख-शान्तिका लाभ परमेश्वरकी देन नहीं, उपेक्षाकी _ 'शान्त मनुष्य वह हो सकता है जो अपनी प्रशंसाको नहीं चाहता।'
'परकी समालोचना न करो और न सुनो।'
देन है।'