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विचार करण
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' मोह क्या है ? यह यदि ज्ञानमे आ जावे तो निर्मोह होना कुछ कठिन नहीं ।'
'आहारत्यागका नाम उपवास नहीं किन्तु आहारसम्बन्धी आशाका त्याग ही उपवास है ।'
'जो कार्य करना चाहते हो प्रथम उसके करनेका दृढ़ संकल्प करो अनन्तर उसके कारणोंका संग्रह करो । जो वाधक कारण हों उनका परित्याग करो ।"
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'बहुत मत बोलो । बोलना ही फंसनेका कारण है । पक्षी बोलने से जाल में फंसता है ।'
'उपयोगकी स्वच्छता ही हिसा है - रागादि परिणामोंकी अनुत्पत्ति ही अहिंसा है।
'शान्तिके पाठसे शान्ति नहीं किन्तु अशान्तिके कारण दूर करनेसे शान्ति प्राप्त होती है । '
'बाह्य वेषसे परकी वञ्चना करनेवाला स्वयं आत्माको दुःख सागरमे डालता है । जो ईंधन परको दग्ध करनेकें अभिप्राय अग्निका समागम करता है वह स्वयं भस्म हो जाता है । '
'आत्माका परिचय होना उतना कठिन नहीं जितना आत्माको जानकर आत्मनिष्ठ होना कठिन है ।'
'यदि अशान्तिका साक्षात् अनुभव करना है तो समाजके कार्यों अग्रेसर बन जाओ ।'
'यदि हम चाहे तो प्रत्येक अवस्थामें सुखका अनुभव कर सकते हैं । सुख कोई वाह्य वस्तु नहीं । आत्माकी वह परिणति है जहां पर आत्मा आकुलता के कारणों से अपनेको रक्षित रखती है ।
'स्वाधीनता कहो या यह कहो परके अवलम्बनका त्याग । जो मानव इस संकल्प-विकल्पसे जायमान विविध प्रकारकी