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सागर विद्यालयका स्वर्ण जयन्ती महोत्सव
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नाका आयोजन किया । बनारस विद्यालय के उत्सवके समय श्री समगौरयाजीने कहा था कि इस वर्ष बड़े भैयाकी स्वर्ण जयन्ती हो रही है और आगामी वर्ष छोटे भैयाकी स्वर्ण जयन्ती मनाई जायगी । छोटे भैयाके मायने सागरका विद्यालय है । सुनकर जनताकी उत्सुकता बढ़ी |
अगली वर्ष सागरसे पं० पन्नालालजी और समगौरयाजी हमारे पास आकर कहने लगे कि इस वर्ष सागर विद्यालयकी स्वर्णजयन्ती मनाना है इसलिए आप सागर पधारनेकी कृपा करें। मैं सागर जाकर बड़ी कठिनाईसे वापिस आ पाया था तथा शरीरकी शक्ति भी पहलेकी अपेक्षा अधिक ह्रासको प्राप्त होगई थी इसलिए मैने सागर जाना स्वीकृत नहीं किया । तब उन्होंने दूसरा पक्ष रक्खा तो यहीं पर अर्थात् मधुवनमें उत्सव रखने की स्वीकृति दीजिये । मैं तटस्थ रह गया और उक्त दोनो विद्वान् कलकत्ता जाकर मधुवनमें स्वर्णजयन्ती महोत्सव करने की स्वीकृति ले आये ।
इसी बीच श्री कानजी स्वामी भी श्री गिरिराजकी वन्दनार्थ ससंघ पधार रहे थे जिससे लोगोंमें उक्त अवसर पर पहुँचनेकी उत्कण्ठा बढ़ रही थी | इसी वर्ष कोडरमामे पञ्चकल्याणक थे । लोग हमें भी ले गये । वहाँ भी सागर विद्यालयकी स्वर्णजयन्ती महोत्सवका काफी प्रचार हो गया । फाल्गुन सुदी १२-१३ सं० २०१३ उत्सवके दिन निश्चित किये गये । इस उत्सवमें बहुत जनता एकत्रित हुई । सब धर्मशालाएँ भर चुकीं और उसके बाद सैकड़ों डेरे तम्बुओं का प्रबन्ध कमेटीको करना पड़ा । चारों ओरकी जनता का आगमन हुआ । उसी समय यहाँ जैनसिद्धान्तसंरक्षिणी सभाका अधिवेशन भी था । तेरापन्थीकोठीमे इसका पंडाल लगा था और श्री कानजी स्वामीके प्रवचनों तथा सागर विद्यालयके उत्सवका संयुक्त पंडाल बीसपंथी कोठीमे लगा था । इन आयो