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मार्दवका अर्थ कोमलता है । कोमलता में अनेक गुण वृद्धि पाते हैं । यदि कठोर जमीनमे बीज डाला जाय तो व्यर्थ चला जायगा । पानीकी वारिस में जो जमीन कोमल हो जाती है उसीमे बीज जमता है। बच्चोंको प्रारम्भमे पढ़ाया जाता है
विद्या ददाति विनय विनयाद्याति पात्रताम् । पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मं ततः सुखम् ॥
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विद्या विनयको देती है, विनयसे पात्रता आती है, पात्रतासे धन मिलता है, धनसे धर्म और धर्म से सुख प्राप्त होता है । जिसने अपने हृदयमे विनय धारण नहीं किया वह धर्मका अधिकारी कैसे हो सकता है ? विनयी छात्रपर गुरुका इतना आकर्षण रहता है कि वह उसे एक साथ सब कुछ बतलानेको तैयार रहता है ।
एक स्थानपर एक पण्डितजी रहते थे । पहले गुरुओंके घरपर ही छात्र रहा करते थे तथा गुरु उनपर पुत्रवत् स्नेह रखते थे । पण्डितजीका एक छात्रपर विशेष स्नेह था, पण्डितानी उनको बार बार कहा करती कि सभी लड़के तो आपकी विनय करते हैं, आपको मानते हैं फिर आप इसी एककी क्यों प्रशंसा करते हैं। पण्डितजी ने कहा कि इस जैसा कोई मुझे नहीं चाहता । यदि तुम इसकी परीक्षा ही करना चाहती हो तो मेरे पास बैठ जाओ । आमका सीजन था, गुरुने अपने हाथपर एक पट्टी के भीतर आम बाँध लिया । और दुखी जैसी सूरत बनाकर कराहने लगे । समस्त छात्र गुरुजीके पास दौड़े आये । गुरुने कहा दुर्भाग्य वश भारी फोड़ा हो गया