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मेरी जीवन गाया
बहुत दुःख हुआ। द्वितीय दिन श्रीराजकृष्णजीके यहाँ भोजन हुआ। श्रीजैनेन्द्रकिशोरजी ने अनारका रस दिया । २ दिनके वाद श्राज पारणा हुआ । लोगोंको अत्यन्त आनन्द हुआ। इसी समय श्रीछोटेलालजी (कलकत्ता) ने १०००) विद्यादानमे अर्पित किये, जिनमे मैंने विद्यालयको ६००) विधवाश्रमको ३००) और उदासीनाश्रमको १००) दिला दिये। श्रीमुंशीलालजी देहलीवालोंने एक लाख रुपया समन्तभद्र विद्यालयको दिया । यह विद्यालय दिल्लीमे अनाथाश्रमके पास सामने जो भूमि है उसीपर वनेगा। चाधरन बाईके मन्दिरमे उनके १ लाखके दानकी घोषणा हुई। उन्हें समाजको ओरसे पगड़ी बंधायी गई । श्रीसिघई कुन्दनलालजीके द्वारा पगडीका कार्य सम्पन्न हुआ। सेठ भगवानदासजीने पुष्पमाला पहिनाई। श्रीछोटेलालजीने अच्छा व्याख्यान दिय। आप १ पुरातनवेत्ता हैं। आपने पुराने तीर्थक्षेत्रों तथा प्रतिमाओंकी फिल्म ली है। एक दिन रात्रिको उनका प्रदर्शन किया। सिं० डालचन्द्रजीने सव
आगन्तुकोको भोजन कराया। प्रसन्नतासे सब लोग अपने-अपने स्थान गये । हम शान्तिसे समय यापन करते रहे।
पर्युषण पर्व आनेवाला था इसलिये समग्र समाजमे उत्साह भर रहा था।