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मुरार
गरा
अपनी वा आप करते हो । अपना अनादर जो करता है उससे अन्यका यावर नहीं हो सकता । मनुष्य जन्म एक महती निधि है । यदि इसका उपयोग यथार्थ किया जावे तो उस जन्म-मरणके रोग से छुटकारा हो सकता है, क्योंकि संसारघातका कारण जो संयम है यह उसी त्रिविसे मिलता है । परन्तु हम इतनी पामरता करते हैं कि राज्य के लिये चन्दनको भस्म कर देते हैं । स्वप्नमे हो बाबाजी ने कहा कि तुमसे जन्मान्तरका स्नेह है । अभी एक बार तुम्हारा हमारा सम्बन्ध शायद फिर भी हो। क्षुल्लक पढ़की रक्षा करना कोई कठिन कार्य नहीं । मनुष्य संपर्क छोडा । यदि कल्याण मार्ग की इच्छा है तो सर्व उपद्रवोंका त्याग कर शान्त होनेका उपाय करो । केवल लोकैपाके जालसे मत पड़ो। हम तो देखा और अनुभव किया कि अभी वल्याणका मार्ग दूर है । यदि उद्दिष्ट भोजन जानकर करते हो तो चुल्लक पढ़ व्यर्थ लिया । लोक प्रतिष्ठा के लिये यह पद नहीं । यह तो कल्याणके लिये है, परकी निन्दा प्रशंसाकी परवाह न करो ।'
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यहाँ रहनेका लोगोंने आग्रह बहुत किया और रहना लाभदायक भी था तो भी हमने मथुरा जानेका निश्चय कर यहाँ से चल दिया ।
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मथुरा में जैन संघका अधिवेशन
आगरासे ३ मील चलकर एक महाशयकी धर्मशाला मे १५ मिनट आराम किया पश्चात् वहाँ से चलकर सिकन्दरावाद आगये । रात्रि सुखसे बीती, प्रातःकाल शौचादि क्रियासे निवृत्त हो अकबर बादशाहका मकबरा देखने गये । मकबरा क्या है दर्शनीय महल है । उसमे अरवी भाषामें सम्पूर्ण मकबरा लिखा गया है । क्या है यह हमको ज्ञात नहीं हुआ और न किसीने