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________________ ३०६ मेरी जीवन गाथा यह क्षेत्र अति उत्तम है परन्तु यहाँके मानव गण उत्साहसे दान नहीं करते, अन्यथा जहाँ ७५ गगनचुम्बी मन्दिर हैं वहाँ स्वर्ग लोक की छटा दिखती। दूसरे दिन विद्यालयके उत्सवके समय बताया गया कि यहाँ स्वर्गीय मोतीलालजी वर्णी एक विद्यालय खोल गये जिसके द्वारा बहुसंख्यक विद्वान् समाजमें काये कर रहे हैं जिनमे साहित्याचार्य व्याकरणाचार्य तथा न्याय-तीर्थे काव्यतीर्थ हैं । वर्तमानमें विद्यालयका कोष बहुत अल्प है। इसका दिग्दर्शन कराया गया । जनता पर अच्छा प्रभाव पड़ा जिससे १००००) दस हजारका चन्दा हो गया। अभी समाजमे कर्मठ व्यक्ति नहीं तथा एक यह महान् दोप है कि एक ही साथ अनेक उत्सवोंकी संयोजना कर लेते हैं जिससे एक भी कार्य पूर्णरूपसे नहीं हो पाता। ____ मार्गशीर्ष शुक्ला ८ सं० २००८ मेलाका अन्तिम दिवस था। आज पण्डालमें परवारसभाका अन्तिम उत्सव था । अच्छा हुआ, ५००) के करीव परवारसभाको आय हुई। लोग बहुत ही प्रसन्न हुए। प्रचार बहुत ही उत्तम हुआ। यदि इन जातीय सभाओंके बदले प्रान्तीय सभाएं होती और उनमे प्रान्तमे वसनेवाले सब जातियोंके लोग सम्मिलित रहते तथा सौमनस्य भावसे काम करते तो बहुत ही उत्तम होता । इस क्षेत्रकी उन्नति तब हो सकती है जब कोई दानी महाशय एक लक्ष १०००००) लगावे । आज कल नवीन मन्दिर निर्माणकी लोग इच्छा करते हैं पर प्राचीन मन्दिरोन्न उद्धार नहीं कराते। नवीन मन्दिर निर्माणमें उनका निर्माताके रूपमें गौरव होता है और प्राचीन मन्दिरोंके उद्धारमें नहीं। यही प्रतिष्ठाकी आकाक्षा लोगोंको इस कार्यकी ओर प्रवृत्त नहीं होने देती। इस क्षेत्रपर एक ऐसा उच्च कोटिका ओपधालय होना चाहिये जिससे प्रान्तके मानवोको विना मूल्य औपध मिले तथा एक ऐमा
SR No.009941
Book TitleMeri Jivan Gatha 02
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages536
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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