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मेरी जीवन गाथा मजदूर न मिलेगा। आज स्त्री समाज चटक मटकके आभूषणोंको पहिनना छोड़ दे तो सहस्रों सुनारोंकी दशा कौन कह सकता है ? इसी तरह वे पौडर लगाना छोड़ दें तो विदेशकी पौडर बनानेवाली कम्पनियोको अपना पाउडर समुद्रमें फेकना पड़े। कहनेका तात्यये यह है कि स्त्री समाजके शिक्षित और सदाचारसे सम्पन्न होते ही संसारके अनेक व्यापार बन्द हो सकते हैं। पञ्चम कालमें चतुर्थकालका दृश्य यदि देखता है तो स्त्री समाजकी उपेक्षा न कर उसे सुशिक्षित बनाओ। सुशिक्षितसे तात्पर्य उस शिक्षासे है जिससे वे अपने कर्तव्यका निर्णय स्वयं कर सकें।
इटावामें चातुर्मासका निश्चय जब मैं ईसरीसे लौटकर सागर गया था तब वहाँकी समाजने हीरक जयन्ती महोत्सव करनेका निश्चय किया था पर कारणवश उस समय वह आयोजन स्थगित हो गया था। साधारण उत्सव हुआ था । तदनन्तर सर्व समाजने 'वर्णी अभिनन्दन ग्रन्थ' समर्पणके साथ-साथ हीरक जयन्ती महोत्सव करनेका निश्चय किया । व्यवस्थाके लिये समितिका निर्माण हुआ । पं० पन्नालालजी साहित्यचार्य उसके संयुक्त मंत्री हए तथा पं० खुशालचन्द्रजी गोरावाला अभिनन्दन ग्रन्थके सम्पादक निश्चित हुए | अब तक अभिनन्दन ग्रन्थ तैयार होनेकी दशामे आ गया था इसलिये उसके समर्पण एवं हीरक जयन्ती महोत्सवको सम्पन्न करानेके लिये श्री पं० पन्नालालजी इटावा आये। उन्होंने यहाँकी समाजके समक्ष