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मेरी जीवन गाया - लोगोंने कहा कि यदि आप रह जावें तो धनवंतीवाईका ७५०००) पचहत्तर हजार रुपया संस्कृत विभागमे लगा देवेंगे। संस्कृत विभाग का नाम सुन मेरे हृदयमे बहुत प्रसन्नता हुई। अन्ततो गत्वा यही निश्चय किया कि रहना चाहिये। निश्चयानन्तर हम सोहनलालजीके वागसे वापिस आ गये। मनुष्योंके चित्तमे उत्साह हुआ श्री मुन्नालालजीको तो इतना उत्साह हुआ कि उन्होंने १२५) प्रतिमास देनेको कहा तथा धनवन्तीके ७५०००) भी पृथकसे इसी कार्यके लिए दिलाये । 'शुभस्य शीघ्रम्' के अनुसार चैत्र कृष्ण सं० २००६ को ही पं० भम्मनलालजी द्वारा संस्कृत विद्यालयका काम शुरू हो गया। ५ छात्रोंने लघुसिद्धान्तकौमुदी प्रारम्भ की, सेठ भगवानदासजीके सुपुत्रने सर्वार्थसिद्धि प्रारम्भ की। श्री वनवारीलालजी त्यागीने द्रव्य संग्रहका प्रारम्भ किया। अन्तमे श्रीपाल वैद्यने मिष्टान्न वितरण किया। सानन्द उत्सव समाप्त हुआ। श्री मुन्नालालजीने इटावा मे ही चातुर्मास करनेका आग्रह किया तो मैंने यह बात समक्ष रक्खी कि यदि चैत्र सुदी १५ तक संस्कृत विद्यालयके लिए १ लक्ष रुपयेकी रजिष्टी हो जायगी तो कार्तिक सुदी २ तक रह जायेंगे। चातुर्मासकी बात सुन जनताको बहुत उल्लास हुआ।
जैनदर्शन के लेख पर जबसे हरिजन मन्दिर प्रवेशकी चर्चा चली कुछ लोगोंने अपने स्वभाव या पक्ष विशेषकी प्रेरणासे हरिजन मन्दिर प्रवेशके विधि निषेध साधक आन्दोलनोंको उचित-अनुचित प्रोत्साहन दिया। कुछ लोगोंको जिन्हे आगमके अनुकूल किन्तु अपनी धारणाके