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इटावाके अञ्चलमें जाने क्यो पक्ष व्यामोहमे पड़ इतनी स्पष्ट वातको भी ग्रहण नहीं परते ? उन्हे देव, अदेवकी परिभापा भी नहीं जमती ऐसा जान पड़ता है। एक दिन गोलालारोंके मन्दिरमे भी प्रवचन हुआ जनता अच्छी आयी परन्तु प्रवचनका वास्तविक प्रभाव कुछ नहीं हुआ। मेरा तो यह विश्वास है कि वक्ता स्वयं उसके प्रभावमे नहीं आता, अन्यको प्रभावमे लाना चाहता है यह प्रवचनकर्तामें महती त्रुटि है। एक सहस्र वक्ता और व्याख्यान देनेवालोंमें एक ही अमल करनेवाला होना कठिन है। यहाँ लोगोंमे आपसी वैमनस्य अधिक है। एक पाठशाला स्थापित होनेकी बात उठी अवश्य पर कुछ लोगोंके पारस्परिक संघर्पके कारण काम स्थगित हो गया। धन्य है उन्हे जिन्होंने कपायरूपी शत्रुओं पर विजय प्राप्त करली । एक दिन पुरानी मण्डीमें २ मन्दिरोंके दर्शन किये । मन्दिर बहुत ही रमणीय है ५०० मनुष्य इनमें शास्त्र श्रवण कर सकते हैं। एक मन्दिर भट्टारकजीका बहुत ही स्वच्छ-निर्मल तथा विशाल है। भिण्ड जैनियो की प्राचीन वस्ती है जन संख्या अच्छी है यदि सौमनस्यसे काम करें तो जन कल्याणके अच्छे कार्य यहाँ हो सक्ते हैं। ६-१० दिन यहाँ रहनेके वाद फाल्गुन शुक्लाको चल कर दीनपुरा छा गये और दूसरे दिन दीनपुरासे फूफ आ गये । यहाँ मुरारसे ४ नहिलऍ आई थीं उनके यहाँ हमारा भोजन हुआ। भोजन बड़े भावसे कराया। फूफसे ५ मील चल कर वरही आये यहाँ पर १ मन्दिर प्राचीन बना हुआ है चम्बलके तटसे ३ मील है। ६० हाथ गहरा कूप है फिर भी जल क्षार है यहाँ पर ३ घर जैनियोके हैं अच्छे सम्पन्न हैं, शिक्षा इस प्रान्तमें कम है। यहाँसे चल कर उडूग्राममे ठहर गये । यहाँसे चल कर नगरा ग्राममे आ गये। यहाँ एक ब्राह्मण महोदयके घरमे ठहर गये आप बहुत ही सज्जन हैं आपने आदरसे व्यवहार किया। भोजनके उपरान्त १ बजे