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इटावाकी ओर
१५७ हमने बहुत समझाया तब कहीं उन्हे संतोप हुआ। उन्होने रविवार
और एकादशीका ब्रह्मचर्य व्रत लिया । उन औरतोंमे एक औरत गरीब थी, उसे एक थान दुसूतीका जो संघके लोगोंको अलीगढ़मे एक श्वेताम्बर भाईने दिया था दिलवा दिया। बड़े आग्रहसे उसने लिया । यहाँसे चलकर अकराबादके कुँवर साहबके बागमें ठहर गये। दूसरे दिन ४ मील चलकर गोपीवाजारके स्कूलमे ठहर गये। यहाँ पर छात्रॉकी परीक्षा ली। ५) पं० भवरीलालजी सरियावालोंने छात्रोंको पारितोषिक दिया। सामायिकके बाद ४ मील चलकर सिकन्दराराऊ आ गये। यहाँ २ घर जैनके हैं।
सिकन्दराराऊसे ४ मील चल कर रतवानपुर आ गये । ग्रामवाले बहुत मनुष्य आये, सर्व साधारण परिस्थितिके थे किन्तु सज्जन थे। यहाँसे १ वजे चल कर भदरवासके ग्राम पंचायत भवनमें ठहर गये। गाँवके अनेक लोग मिलने आये। भदरवाससे ४ मील चल कर .. पिलुआ आ गये। यहाँ पर ३ घर पद्मावतीपुर वालोंके हैं १ मन्दिर है जो सामान्यतया उत्तम है। प्रेमसे भोजन कराया। दिल्लीसे श्री जैनेन्द्रकिशोरजी तथा राजकृष्णजी आये। इनका अनुराग विशेष है।
पौष बदी ७ सं० २००६ को एटा आ गये । यहाँ पर २०० घर पद्मावतीपुरवालोके हैं, धर्म वत्सल हैं। यहाँ पं० पन्नालालजी मथुरा संघसे आये प्रातःकाल मन्दिरमे प्रवचन हुआ। सायंकाल पार्कमे आम सभा हुई। सभामे सभ्य पुरुष आये ? पं० पन्नालालजी मथुराका व्याख्यान हुआ, मैंने भी कुछ कहा। यहाँ रात्रिको सिविल सर्जन सपत्नीक आये मिल कर बहुत प्रसन्न हुए। आपने मंगलवारको ब्रह्मचर्य व्रत लिया। एक दिन बड़े मन्दिरमें प्रवचन हुआ। मनुष्योंके चित्तमे कुछ प्रभाव पड़ा। यहाँ पर एक कायस्थ रहते हैं