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काजी निशा
फोकि की कि fy का श्रद्धय ब्रह्मचारी श्री जिनेन्द्र वर्णीजी की सेवा में क प्रकार
या काकी का अभिनन्दन-पत्रणीहिक माया फ्रिीजिश चाय की काकाकर ডp সচীভচটি |# fার্চ চাষ চর্মীps ### "Uর্চ টি सरल परिणामी साधुमना, आदरास्पद श्री वर्णीजी !कनीक काशी गोफ किसी भी प्रकार के अभिनन्दन-आयोजन के प्रति अनिच्छा होते हुए भी आपने हमारे इस समारोहमें पधारने की कृपा की, इसकेलिए भारतीय ज्ञानपीठ की ओर से हम आपके प्रति कृतज्ञता ज्ञापन करते हैं । हम अच्छी तरह जानते हैं कि हमारी इस कृतज्ञ भावना से जैन समाज और सांस्कृतिक जगत के सभी सुधीजन हादिक रूप से सम्बद्ध हैं। जीरका | IFES की कमाएगाव
की सीमा प्रशासक गुणों के आगार, प्रतिभा के आधार ! निशा
SEPIS सहज संस्कारशीलता, कुशाग्रबुद्धि, असीम मनोबल, कर्मठता, ततस संयमसाधना, प्रागमों के अथाह सागर की अवगाहना द्वारा अक्षय ज्ञान-मुक्ताओं का अन्धेषण, तत्त्वज्ञान की गम्भीर उपलब्धि का सरल प्रतिपादन, कलात्मक रुचि, हित-मित प्रिय वाणी, एका त-मौन साधना आदि अनेकानेक गुणों से आपके भव्य व्यक्तित्व का निर्माण हुआ है।
ज्ञान के पावन दीपको साधना के स्नेहसे प्रज्वलित रखनेवाले साधक !
अापकी जिस उपलब्धि को माध्यम बनाकर ज्ञानपीठ आपके इस अभिनन्दन द्वारा अपने को गौरवान्वित कर रही है वह महान कृति 'जनेन्द्र सिद्धान्त कोश' ज्ञान की साधना के चरम उत्कर्ष का प्रतीक है। लगभग ७ वर्षों तक धर्म, दर्शन पुराण, इतिहास, भूगोल खगोल विज्ञान और प्राचार-शास्त्र सम्बन्धी शत-शत ग्रन्थोंका परायण करके आपने जैन संस्कृतिके सारको दर्पणकी भांति रुपायित