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________________ भगवई सुत्त संत्तमं सतं पढमो उद्देसो आहार विरइ थावर, जीवा पक्खी य आउ अणगारे । छउमत्थ असंवुड, अण्णउत्थि दस सत्तम्मि सए | तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव एवं वयासी- जीवे णं भंते ! कं समयमणाहारए भवइ ? गोयमा ! पढमे समए सिय आहारए सिय अणाहारए; बिइए समए सिय आहारए सिय अणाहारए, तइए समए सिय आहारए सिय अणाहारए, चउत्थे समए णियमा आहारए | एवं दंडओ | जीवो य एगिंदिया य चउत्थे समए, सेसा तइए समए | जीवे णं भंते ! के समयं सव्वप्पाहारए भवइ ? गोयमा ! पढमसमयोववण्णए वा चरमसमयभवत्थे वा, एत्थं णं जीवे सव्वप्पाहारए भवइ । दंडओ भाणियव्वो जाव वेमाणियाणं । किं संठिए णं भंते ! लोए पण्णत्ते ? गोयमा ! सुपइट्ठगसंठिए लोए पण्णत्ते, हेट्ठा विच्छिण्णे जाव उप्पिं उड्ढमुइंगा- गारसंठिए | तंसिं च णं सासयंसि लोगंसि हेट्ठा विच्छण्णंसि जाव उप्पिं उड्ढाइंगा- गारसंठियंसि उप्पण्णणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली जीवे वि जाणइ पासइ, अजीवे वि जाणइ पासइ, तओ पच्छा सिज्झइ जाव सव्व दुक्खाणं अंतं करेड़ । समणोवासयस्स णं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स तस्स णं भंते ! किं इरियावहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! णो इरियावहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ । से केणतुणं भंते ! जाव संपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! समणोवासयस्स णं सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स आया अहिगरणी भवइ, आया अहिगरणवत्तियं च णं तस्स णो इरियावहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ; से तेणटेणं गोयमा ! जाव संपराइया किरिया कज्जइ । [3] समणोवासयस्स णं भंते ! पुव्वामेव तसपाणसमारंभे पच्चक्खाए भवइ, पुढविसमारंभे अपच्चक्खाए भवइ । से खणमाणे अण्णयरं तसं पाणं विहिंसेज्जा. से णं भंते ! तं वयं अइचरइ ? गोयमा ! णो इणढे समढे; णो खलु से तस्स अइवायाए आउट्टइ । समणोवासयस्स णं भंते ! पुव्वामेव वणस्सइसमारंभे पच्चक्खाए, से य पुढविं खणमाणे अण्णयरस्स रुक्खस्स मूलं छिंदेज्जा; से णं भंते ! तं वयं अइचरइ ? गोयमा ! णो इणढे समढे; णो खल से तस्स अइवायाए आउट्टइ । 149
SR No.009905
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorDevardhigani Kshamashaman
PublisherGlobal Jain Agam Mission
Publication Year2012
Total Pages653
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size8 MB
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