________________
भगवई सुत्त
हट्ठस्स अणवगल्लस्स, णिरुवकिट्ठस्स जंतुणो । एगे ऊसासणीसासे, एग पाणु त्ति वुच्चइ ॥१॥ सत्त पाणि से थोवे, सत्त थोवाइं से लवे ।
[wত
लवाणं सत्तहत्तरिए, एस मुहुत्ते वियाहिए ॥२॥
तिण्णि सहस्सा सत्त य सयाइं, तेवत्तरिं च ऊसासा । एस मुहुत्तो दिट्ठो, सव्वेहिं अणंतणाणीहिं ॥३॥
E
एएणं मुहुत्तपमाणेणं तीसमुहुत्तो अहोरत्तो, पण्णरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा उऊ, तिण्णि उउए अयणे, दो अयणे संवच्छरे, पंचसंवच्छरिए जुगे, वीसं जुगाई वाससयं, दस वाससयाइं वाससहस्सं, सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्सं, चउरासीइं वाससयसहस्साणि से एगे पुव्वंगे, चउरासीइं पुव्वंगा सयसहस्साइं से एगे पुव्वे; एवं तुडिअंगे, तुडिए; अडडंगे, अडडे; अववंगे, अववे, हूहूअंगे, हूहूए; उप्पलंगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, णलिणंगे, णलिणे; अत्थणिउरंगे, अत्थणिउरे; अउयंगे अउए, पउयंगे, पउए; णउअंगे, उए; चूलिअंगे, चूलिआ; सीसपहेलिअंगे, सीसपहेलिया; एताव ताव गणिए, एताव ताव गणियस्स विसए; तेण परं उवमिए ।
से किं तं ओवमिए ? ओवमिए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- पलिओवमे य सागरोवमे य ।
से किं तं पलिओवमे, से किं तं सागरोवमे ?
सत्थेण सुतिक्खेण वि, छेत्तुं भेत्तुं च जं किर ण सक्का ।
तं परमाणुं सिद्धा, वयंति आई पमाणाणं ॥ १ ॥
अणंताणं परमाणुपोग्गलाणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा उस्सण्हसहिया इ वा, सण्हसण्हिया इ वा, उड्ढरेणू इ वा, तसरेणू इ वा, रहरेणू इ वा, वालग्गा इवा, लिक्खा इ वा, जूया इवा, जवमज्झे इ वा, अंगुले इ वा ।
अट्ठ उस्सण्हसहियाओ सा एगा सण्हसहिया, अट्ठ सण्हसहियाओ सा एगा उड्ढरेणू, अट्ठ उड्ढरेणूओ सा एगा तसरेणू, अट्ठ तसरेणूओ सा एगा रहरेणू, अट्ठ रहरेणूओ से एगे देवकुरुउत्तरकुरुगाणं मणुस्साणं वालग्गे; एवं हरिवास-रम्मग- हेमवय- एरण्णवयाणं, पुव्वविदेहाणं मणुस्साणं अट्ठ वालग्गा सा एगा लिक्खा, अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूया, अट्ठ जूयाओ से एगे जवमज्झे, अट्ठ जवमज्झाओ से एगे अंगुले, एएणं अंगुलपमाणेणं छ अंगुलाणि पाओ, बारस अंगुलाई विहत्थी, चउवीसं अंगुलाई रयणी, अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी, छण्णउइ अंगुलाणि से एगे दंडे इ वा, धणू इ वा, जूए इ वा णालिया इ वा अक्खे इ वा, मुसले इ वा; एएणं धणुप्पमाणेणं दो धणुसहस्साइं गाउयं, चत्तारि गाउयाइं जोयणं ।
एएणं जोयणप्पमाणेणं जे पल्ले जोयणं आयामविक्खंभेणं, जोयणं उड्ढं उच्चत्तेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं; से णं
एगाहिय बेयाहिय तेयाहिया, उक्कोसं सत्तरत्तप्परूढाणं ।
संमट्ठे सण्णिचिए, भरिए वालग्गकोडीणं ॥
142