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________________ भगवई सुत्त अग्गिकुमारा अग्गिकुमारीओ वायुकुमारा वायुकुमारीओ; चंदा सूरा गहा णक्खत्ता तारारूवा, जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते तब्भत्तिया तप्पक्खिया तब्भारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो आणा-उववाय-वयण-णिद्देसे चिट्ठति । | जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं जाइं इमाइं समुप्पज्जंति, तं जहा- गहदंडा इ वा, गहमुसला इ वा, गहगज्जिया इ वा, एवं गहजुद्धा इ वा, गहसिंघाडगा इ वा, गहावसव्वा इ वा, अब्भा इ वा, अब्भरुक्खा इ वा, संझा इ वा, गंधव्वणगरा इ वा, उक्कापाया इ वा, दिसिदाहा इ वा, गज्जिआ इ वा, विज्जू इ वा, पंसुवुट्ठी इ वा, जूवे इ वा, जक्खालित्तए इ वा, धूमिया इ वा, महिया इ वा, रयुग्घाए इ वा, चंदोवरागा इ वा, सूरोवरागा इ वा, चंदपरिवेसा इ वा, सूरपरिवेसा इ वा, पडिचंदा इ वा, पडिसूरा इ वा, इंदधणू इ वा, उदगमच्छा इ वा कपिहसिया इ वा, अमोहा इ वा, पाईणवाया इ वा, पडीणवाया इ वा जाव संवट्टयवाया इ वा, गामदाहा इ वा जाव सण्णिवेसदाहा इ वा, पाणक्खया, जणक्खया, धणक्खया, कलक्खया, वसणब्भया अणारिया; जेयावण्णे तहप्पगारा ण ते सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो अण्णाया, अदिट्ठा, असुया, अमुया(अस्सुया) अविण्णाया; तेसिं वा सोमकाइयाणं देवाणं । सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो इमे देवा अहावच्चा अभिण्णाया होत्था, तं जहा- इंगालए, वियालए, लोहिअक्खे, सणिच्चरे, चंदे, सूरे, सुक्के, बुहे, बहस्सई, राहू । सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सतिभागं पलिओवमं ठिई पण्णत्ता । अहावच्चाभिण्णायाणं देवाणं एगं पलिओवमं ठिई पण्णत्ता । एवं महिड्ढीए जाव महाणुभागे सोमे महाराया । कहि णं भंते! सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो, जमस्स महारण्णो वरसिढे णामं महाविमाणे पण्णत्ते? गोयमा ! सोहम्मवडिंयस्स महाविमाणस्स दाहिणेणं सोहम्मे कप्पे असंखेज्जाइं जोयणसहस्साई वीईवइत्ता एत्थ णं सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो वरसिढे णामं महाविमाणे पण्णत्ते अद्धतेरसजोयणसयहसस्साइं, जहा सोमस्स विमाणं तहा जाव अभिसेओ । रायहाणी तहेव जाव पासायपंतीओ | सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो इमे देवा आणा जाव चिटुंति; तं जहा जमकाइया इ वा, जमदेवयकाइया इ वा पेयकाइया इ वा पेय- देवयकाइया इ वा असुरकुमारा असुरकमारीओ कंदप्पा णिरयवाला आभिओगा जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते तब्भत्तिया तप्पक्खिया तब्भारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो आणाए जाव चिटुंति; जंबूद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं जाइं इमाइं समुप्पज्जंति, तं जहा- डिंबा इ वा, डमरा इ वा, कलहा इ वा, बोला इ वा, खारा इ वा, महाजुद्धा इ वा, महासंगामा इ वा, महासत्थणिवडणा इ वा, एवं महापुरिसणिवडणा इ वा, महारुहिरणिवडणा इ वा, दुब्भूआ इ वा, कुलरोगा इ वा, गामरोगा इ वा, मंडलरोगा इ वा, णगररोगा इ वा, सीसवेयणा इ वा, 93
SR No.009905
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Mool Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorDevardhigani Kshamashaman
PublisherGlobal Jain Agam Mission
Publication Year2012
Total Pages653
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size8 MB
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