SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ठाणांग सुत्तं णो कप्पड़ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा चउहिं संझाहि सज्झायं करेत्तए, तं जहा- पढमाए, पच्छिमाए, मज्झण्हे, अड्ढरत्ते । कप्पड़ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा चउक्कालं सज्झायं करेत्तए, तं जहा- पुव्वण्हे, अवरण्हे, पओसे, पच्चूसे | चउव्विहा लोगद्विई पण्णत्ता तं जहा- आगासपइद्विए वाए, वायपइट्ठिए उदधी, उदधिपइट्ठिया पुढवी, पुढविपइट्ठिया तसा थावरा पाणा | चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा- तहे णाममेगे, णोतहे णाममेगे, सोवत्थी णाममेगे, पहाणे णाममेगे । चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तं जहा- आयंतकरे णाममेगे णो परंतकरे, परंतकरे णाममेगे णो आयंतकरे, एगे आयंतकरेवि परंतकरेवि, एगे णो आयंतकरे णो परंतकरे । चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा- आयंतमे णाममेगे णो परंतमे, परंतमे णाममेगे णो आयंतमे, एगे आयंतमे वि परंतमे वि एगे णो आयंतमे णो परंतमे | चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा- आयंदमे णाममेगे णो परंदमे, परंदमे णाममेगे णो आयंदमे, एगे आयंदमे वि, परंदमे वि, एगे णो आयंदमे णो परंदमे । चउव्विहा गरहा पण्णत्ता, तं जहा- उवसंपज्जामित्तेगा गरहा, वितिगिच्छा- मित्तेगा गरहा, जंकिंचिमिच्छामित्तेगा गरहा, एवंपि पण्णत्ता एगा गरहा । चत्तारि परिसजाया पण्णत्ता, तं जहा- अप्पणो णाममेगे अलमंथू भवइ णो परस्स, परस्स णाममेगे अलमंथू भवइ णो अप्पणो, एगे अप्पणो वि अलमंथू भवइ परस्स वि, एगे णो अप्पणो अलमंथू भवइ णो परस्स | चत्तारि मग्गा पण्णत्ता, तं जहा- उज्जू णाममेगे उज्जू, उज्जू णाममेगे वंके, वंके णाममेगे उज्ज , वंके णाममेगे वंके । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा- उज्जू णाममेगे उज्जू, उज्जू णाममेगे वंके, वंके णाममेगे उज्जू , वंके णाममेगे वंके । चत्तारि मग्गा पण्णत्ता, तं जहा- खेमे णाममेगे खेमे, खेमे णाममेगे अखेमे, अखेमे णाममेगे खेमे, अखेमे णाममेगे अखेमे । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा- खेमे णाममेगे खेमे, खेमे णाममेगे अखेमे, अखेमे णाममेगे खेमे, अखेमे णाममेगे अखेमे । चत्तारि मग्गा पण्णत्ता, तं जहा- खेमे णाममेगे खेमरूवे, खेमे णाममेगे अखेमरूवे, अखेमे णाममेगे खेमरूवे, अखेमे णाममेगे अखेमरूवे | 68
SR No.009903
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Mool Sthanakvasi
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorDevardhigani Kshamashaman
PublisherGlobal Jain Agam Mission
Publication Year2012
Total Pages189
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy