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[ २३ ] में हो सस्ता है, कठोर व्यवहार से नहीं, अतः प्रेम से समझा कर उन्हें सत्पथ पर लायो ।
ॐ ॐ ॐ २१-८५६. यदि बालक भी शिक्षा की बात कहे तब उसे
नान लो हठ मत करो।
२२-८७१. अपना यह व्यवहार रखो-जिसमें दूसरे को
कोई पीड़ा न हो, भाव अाना सबके हित का रखो और प्रवृत्ति भी हित बुद्धि से करो फिर भी भ्रमवश काई दुःवी रहे तब तेरा कोई अपराध नहीं ।