________________
[ १७ ]
४ व्यवहार
१- ५१, योग्यता होते हुए भी मुंह छिपाना व अधिकार
होते हुए भी कुकृत्य को न रोकना या सत्कृत्य न करना भी अपना घातक अपराध है ।
卐5
२- ५२. मनुष्य जीवन को आत्मकल्यांण का सहकारी समझ कर जीने के लिये खावे। पर खाने के लिये मत जिया । फॐ फ
३-५४. अपने पक्ष के सबल सम्पादन करने के अर्थ असत् बातों का प्रयोग न करें तो सफलता मिलेगी । फ्रॐ फ ४-६७. मोक्षमार्ग के सेवक का धार्मिक संस्थाओं के कंट में भी नहीं पड़ना चाहिये, क्योंकि लोक जुड़े जुड़े ख्याल के हेाते हैं, अपने अभिप्राय के अनुकूल कार्य का अत्यन्त कठिन है ।
ॐ ॐ ॐ
५-७४ - यदि शान्ति चाहते हो तब किसी कार्य में मुखिया