________________
[ २५५ ] मिल जाय तो उसका बना रहना अति कठिन है, क्योंकि 2 सभी पुरुषों का विचार प्रतिकूल घटना घटते ही अस्थिर हो जाता है।
५-३१७. रे मनोहर ! वयोवृद्ध संयमवृद्ध ज्ञानवृद्ध के निकट
रहने का लक्ष्य रखो, उनका समागम गुण विकास का वातावरण है।
ॐ ॐ 卐 ६-३३६. सत्संग करो, सत्पुरुष वही है जो संसार, शरीर
और भोगों से विरक्त हो और पवित्र आत्मा जिसके लिये आदर्श हो।
७-४५४. मुमुक्षु पुरुप जब तक अपने से विशेष पुरुष मिले
उसके समागम और आज्ञा में रहे ।
८-७५६. सिर्फ अनुमान और सन्देह के आधार पर या
दूः रे पुरुषों के कहने पर ही उत्तम पुरुषों से नहीं हटना चाहिये।
ह-७८०. जब तक समाधिभाव नहीं हुआ-सत्संग कभी