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५५ सत्सङ्ग
१-६१. यदि सत्समागम न मिले तब एकान्त में रहना हो
श्रेष्ठ है परन्तु असत्पुरुषों का समागम ठोक नहीं।
२-६२. एकान्त निवास के अभिलाषियों को दृढ़ भेदविज्ञानी होना चाहिये अन्यथा वहां पतित भी हो सकता ।
३-६६. मैं अत्यन्त भूल कर गया जो पूज्य बाबा जी (बड़े वर्णी जी) का समागम छोड़कर यत्र तत्र भ्रमण कर रहा हूं यद्यपि प्रायः सर्वत्र साधर्मी भाइयों का समागम अच्छा है किन्तु विद्वान् व चारित्रवान् त्यागिपुरुषों के साक्षात् उपदेश मिलन का साधन न होने से यत्र तत्र शान्ति नहीं रह पाती अब शीघ्र ही ऐसे समागम का उद्यम करना ठीक है।
卐 ॐ ॥ ४-२७०. सत्समागम मिलना अतिदुर्लभ है यदि कदाचित्