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[ २३६ ] ६-६१३. हम लोगों को क्या किसी ने बड़े रहने का, रौत्र जमाने का, सबसे विनय कराने का, कपायों को बढ़ाकर भी उन्नत और मुखी रहने का पट्टा लिख दिया है ? अरे ! तुम्हारे शिर मृत्यु महरा रही उसे तो देखो । जल्दी ही इस मनुष्य जन्म से हे आत्मन् ! अपना सत्य स्वार्थ निकाल अर्थात हर प्रकार से संयमी होकर सदा को आत्मा में संयत रहने का उपाय बना लो । फ्र