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। १५० ] चीज नहीं है।
म ॐ ॐ १७-८६०. संयोग का ऐसा कोई उदाहरण नहीं जो आत्महित का नियत साधक हुआ हो, और...देख ! कर्म के संयोग से संसार के दुःस्व मिलते हैं, व शरीर के संयोग से भूख प्यास आदि के दुःख मिलते हैं, परिवार संपदा के संयोग से चिन्ता परिश्रम विरोध के दुःख मिलते हैं; संयोग सुख की चीज नहीं बल्कि क्लेश का पिता है।