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६ - १८५, वर्तमान में जो तेरे विभाव व पर द्रव्य का संयोग है वह भी क्षण में भूतकाल के उदर में पहुंच जावेगा और जैसे भूतकाल के विभाग व संयोग स्वप्नवत् मालूम पड़ रहे हैं. यह वर्तमान विभाव व संयोग भी स्वप्नवत् हो जायगा, इसलिये जिसे तुम्हें आगे स्वप्नवत् मालूम करना पड़ेगा उसे अभी स्वप्नवत् समझो तो महती शान्ति प्राप्त हो ।
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१०- २६३. राग के अनुकूल चीज न मिलना भी एक संपत्ति है क्योंकि ऐसी घटना में आकुलता की जननी - तृष्णा - के विनाश करने का एक सुन्दर अवसर मिलता है ।
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१ - २६४. राग के अनुकूल चीज मिल जाना भी एक विपत्ति है, क्योंकि ऐसी घटना में आकुलता की जननीतृष्णा का प्रसार हो सकता, और उस तृष्णा से उस आत्मघाती को निरन्तर संक्लिष्ट रहना पड़ता है । फॐ फ १२- २६०. सांसारिक सुख समागम बच्चों के रेत का भदूना है और उसका फल उसका मिटना ही है ।
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