________________
[ १२२ ]
१० - ८०२. ठगे जाने से ठगना बुरा है; ठगे गये व्यक्ति के आत्मा का क्या बिगाड़ हुआ ? वाह्य पदार्थ का ही वियोग संयोग रहा परन्तु ठगने वाला तो आत्मा को कुटिल बना कर अपने सब प्रदेशों में मलीन बन रहा है, दुर्गति की तैयारी कर रहा है ।
फफ
११ - ८०३. कौन किसे ठग रहा है ? ठगने वाला आत्मा अपने आपको ठग रहा है । मायाचार को धिकार है जो स्वामी को बरबाद कर रहा है ।
फ
ॐ 5