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२० क्रोध कषाय
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१- ७४४. क्रोधी के बाप नहीं अथति क्रोधी पर तो उसके बाप का भी प्रभाव नहीं पड़ सकता । अन्य की इज्जत का ध्यान न रखना और विपत्ति डालना तो क्रोधी के बायें नं हाथ का काम है, वास्तव में तो क्रोधी अपनी चेष्टाओं को करके अपना ही घात करता है ।
ॐॐॐ फ २-७५०, यदि क्रोधी का समागम हुआ है तब अच्छा ही तो है जो वह बेचारा क्रोध करके अपनी बरबादी करता हुआ ही तुम्हें धैर्य और शान्ति में दृढ़ बना रहा है। ऐसा क्रोध की नौकरी करने वाला व्यक्ति तो बहुत रुपया खर्च करने पर भी मिलना कठिन है। ऐसे समागम में भी ग्लानि और क्षोभ न करो, आत्मस्वरूप के चिन्तन द्वारा शान्ति का परम सुख पायो ।
फ्रॐ फ ३-७६२. निन्दक और क्रोधी महा भयंकर पुरुष हैं इनसे दूर रहो, यदि इनका संग हो जाय तो विशेष परिचय रूप