SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कुंदकुंद-भारती हे मुनि! तू पाँच महाव्रतोंसे युक्त होकर पाँच समितियों तथा तीन गुप्तियोंमें प्रवृत्ति करता हुआ रत्नत्रयसे युक्त हो सदा ध्यान और अध्ययन कर । ३३ ।। रयणत्तयमाराहं, जीवो आराहओ मुणेयव्वो । आराहणाविहाणं, तस्स फलं केवलं गाणं ।। ३४ ।। रत्नत्रयकी आराधना करनेवाले जीवको आराधक मानना चाहिए, आराधना करना सो आराधना है और उसका फल केवलज्ञान है ।। ३४ ।। सिद्धो सुद्धो आदा, सव्वण्हू सव्वलोयदरसी य । सो जिणवरेहिं भणियो, जाण तुमं केवलं गाणं ।। ३५ ।। जिनेद्र भगवान्‌ के द्वारा कहा हुआ वह आत्मा सिद्ध है, शुद्ध है, सर्वज्ञ है, सर्वलोकदर्शी है तथा केवलज्ञानरूप है, ऐसा तुम जानो ।। ३५ ।। रयणत्तयं पि जोई, आराहइ जो हु जिणवरमएण । सो झायदि अप्पाणं, परिहरदि परं ण संदेहो । । ३६ ।। ३१६ जो योगी • ध्यानस्थ मुनि जिनेद्रदेवके मतानुसार रत्नत्रयकी आराधना करता है वह आत्माका ध्यान करता है और पर पदार्थका त्याग करता है इसमें संदेह नहीं है ।। ३६ ।। जं जाइतं णाणं, जं पिच्छड़ तं च दंसणं णेयं । तं चारित्तं भणियं, परिहारो पुण्णपावाणं ।। ३७।। जो जानता है वह ज्ञान है, जो देखता सामान्य अवलोकन करता है वह दर्शन है, अथवा जो प्रतीति करता है वह दर्शन है -- सम्यग्दर्शन है और जो पुण्य-पापका परित्याग है वह चारित्र है ।। ३७ ।। तच्चरुई सम्मत्तं, तच्चग्गहणं च हवइ सण्णाणं । चारित्तं परिहारो, पजंपियं जिणवरिंदेहिं ।। ३८ ।। तत्त्वरुचि होना सम्यग्दर्शन है, तत्त्वज्ञान होना सम्यग्ज्ञान है और पापक्रियाका परिहार - त्याग होना सम्यक् चारित्र है, ऐसा जिनेंद्र भगवान् ने कहा है ।। ३८ ।। दंसणसुद्धो सुद्धो, दंसणसुद्धो लहेइ णिव्वाणं । दंसणविहीणपुरिसो, न लहइ तं इच्छियं लाहं ।। ३९ ।। सम्यग्दर्शनसे शुद्ध मनुष्य शुद्ध कहलाता है। सम्यग्दर्शनसे शुद्ध मनुष्य निर्वाणको प्राप्त होता है। जो मनुष्य सम्यग्दर्शनसे रहित है वह इष्ट लाभको नहीं पाता है ।। ३९ ।। इय उवएसं सारं, जरमरणहरं खु मण्णए जं तु । तं सम्मत्तं भणियं, समणाणं सावयाणं पि ॥ ४० ॥
SR No.009898
Book TitleAshta Pahud
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages85
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy