________________ [425] सप्तमं परिशिष्टम् तीर्थकरप्रार्थनाश्लोकाः श्लोकः पृष्ठम् तुह पहु ! दंसणतुट्ठो, मुक्खो न मुणेमि तुज्झ गुणनियरं / किंतु पसन्ना मुद्दा, न होइ गुणवज्जिए देव ! // 1 // ता जं तुम्ह महायस !, निम्मलजसविमलियंमि पयकमले / पणयाण होइ भावेण, देव ! तं होउ अम्हं पि // 2 // 160 अष्टमं परिशिष्टम् शास्त्रीयपदार्थाः पदार्थः पृष्ठम् महापुरिसमायरो अ पच्छन्नगब्भाओ हवंति / जायमाणेसु अ जिणेसु माऊणं जर-रुहिराईणि न भवंति / उड्डगई चिय जिण-राम-नारया; जंति अहोगई चेव / सणियाण च्चिय पडिहरि-हरिणो; दुहओ वि चक्कि त्ति // 1 / / न य सम्मत्तसलायारहिया नियमेणिमे जओ तेण / होंति सलायापुरिसा // न तवस्सिणीओ आयावणं देंति त्ति आगमविही / / एगखेत्तंमि बीओ न तित्थयरो, ण य चक्कवट्टी, सबल-वासुदेवो वा सामी / तहा न कारणागओ वा सजाइयस्स मिलइ / / एयं न भूयं भविस्सइ जं नाम केसवा पव्वइस्संति, जम्हा ते नियाणकडा विरइरहिया अहो गच्छंति // 293 342 m 345 362 नवमं परिशिष्टम् शास्त्रान्तरोल्लेखः उल्लेखः पृष्ठम् आसी य बीओ रिसिमंडलत्थयभणिओ विण्हुकुमारमुणी / (अत्र - ऋषिमण्डलस्तवः - इति ग्रन्थोल्लेखः / ) (दृश्यताम् अनुसन्धान - 56, पृ. 20, गाथा 114-123)