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श्रीमन्त्रराजगुणकल्पमहोदधि ।
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विषय अग्रतिचक्रादि के द्वारा ध्यान ... ... ... आत्मध्यान व प्रणव ध्यान ... अष्टाक्षरी मन्त्र का जप व फल । फल विशेषापेक्षा महामंत्र ध्यान, उसके भेद फल सिद्ध चक्र का माहात्म्य संक्षिप्त अर्हदादि ध्यान पद ध्यान-माहात्म्य विश्लेष की आवश्यकता रूपस्थ ध्यान-स्वरूप रूपस्थ ध्यानवान् का लक्षण... उसका फल व हेतु असद् ध्यान सेवन का निषेध मोक्षाश्रयत्त्व का गुण .. रूप वर्जित ध्यान का स्वरूप उक्त ध्यान का फल तत्त्ववेत्ता पुरुष का चिन्तनीय विषय... ... चतुर्विध ध्यान निमग्नता-फल ...। धर्म ध्यान के चार भेद ... ... आज्ञा ध्यान का स्वरूप, तद् ध्यान विधि व हेतु अपाय ध्यान का स्वरूप तथा उसकी विधि ...
... विपाक ध्यान का स्वरूप तथा उसकी विधि... संस्थान ध्यान का स्वरूप व फल ... ... धर्म ध्यान का फल ... ... शुक्ल ध्यानके अधिकारी ... ... शुक्ल ध्यान के चार भेद ... प्रथम शुक्ल ध्यान का स्वरूप... द्वितीय शुक्ल ध्यान कास्वरूप तृतीय शुक्ल ध्यान का स्वरूप चतुर्थ शुक्ल ध्यान का स्वरूप".
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