________________ हमणां ज प्रकट थएल अत्युत्तम ग्रन्थ आ चा रांग सूत्र. एम तो आचारांगसूत्रनी आज सुर्धामां अनेक आवृत्तियो छपाई गएल छ परंतु शुद्धता अने उत्तमतानी दृषिए एनी बराबरी करी शके एवी एके आवृत्ति हजी सुधी बहार पडी नथी.. आ आवृत्ति जर्मनीना एक विद्वाने वर्षीसुधी आचारांगसूत्रनो ऊंडो अभ्यास करी तैयार करेल छे. मूळनी अनेक प्रतो सेगी करी तेमांथी प्रथम मूळपाठ तारवी काढी, पछी चूर्णि टीका, अवचूरी, टब्बार्थ अने वालावबोध आदि जुदी जुदी व्याख्या करनाराओना पाठो साथे सरखावी, आनो पाठ निर्णय करवामां आव्यो छे: एटलं जनही पण आज स टीकाकार जे वस्तु ए सूत्रमा जोई शक्या न हता ते ऐमां तारवी काढवामां आवी छे. अने ए वस्तु ते आखा सूत्रमा गद्यभाग अने पद्यमाग केटलो छ तेनुं पृथक्करण छे. पश्चिमना विद्वानो आपणा. देशना शास्त्रोनो केवी पद्धतिए अने केटली बारीकीथी अभ्यास करे छे तेनी कल्पना आचा. रांगसूत्रनी आ आवृत्ति जोवाथी थशे. आनी महत्तानो खयाल एटला उपरथी आवी शकशे के जर्मनीनी एक प्रख्यात युनिवर्सिटीए ए ग्रन्थना संशोधक विद्वानने एमना आवा अथाग बोद्धिक परिश्रमना बदलामां ऊंचामां ऊंची पांडित्यप्रदर्शक " डॉक्टर "नी डीग्री आपी छे. सारामां सारा एन्टीक कागळ उपर सुन्दर रीते अने नवी पद्धतिए छपाववामां आवल छे. पाछळ ग्रन्थमा आवता दरेक शब्दनो प्राकृत अने संस्कृत शब्द कोष आपवामां आवेल छे. तेम ज खास खास महत्त्वना पाठान्तरो पण आपेला छ. दरेक भंडार, लाईब्ररी अने ग्रन्थसंग्रहमां आनी एकेक नकल खास राखवा लायक छ तेम ज ट्रेक साधुसाध्वीन स्वाध्यायमाटे अत्यंत उपयोगी होवाथी तेमने पण खास संग्रहवा लायक छ. जर्मनीनी लिप्जीग युनिवसीटी तरफथी ए ग्रन्थनी रामनलीपिमां जे मूळ आवृत्ति प्रकट थई छे तेनी किंमत लगभग 6-7 रूपिया जेटली पडे छे. छतां आ आवृत्तिनी किंमत मात्र // रुपिया ज राखवामां आवी छे. घणी ज थोडी नकलो छपापली छ माट मगाववानी इच्छा वाळाए शीघ्रता करवी. त्रण छेद सूत्र बृहत्कल्प, व्यवहार अने निशीथ. जैन आगम साहित्यमां आ त्रण छेद सूत्र सौथी वधारे प्राचीन अने प्रधान आगम गणाय छे. एमना कर्ता भद्रबाहु स्वामी छे. ए छेद सूत्रो उपर पूर्वाचार्योए जेटली व्याख्याओ लखी छ तेटली बीजा कोई पण आगमो उपर नथी लखी. ए छेद सूत्रो हजी सुधी कोईए छपाव्या न हता. परंतु जर्मनीना प्रसिद्ध विद्वान् डॉ. शुब्रींग, जेमणे उपरोक्त आचारांगसूत्रनुं संशोधन कर्यु छे तेमणे ज सौथी प्रथम आ त्रण छेद सूत्रोन पण अत्युत्तम संशोधन करी प्रकट करवानुं प्रशंसनीय श्रेय प्राप्त कर्य छे. आ सूत्रोना पाठो पण आचारांग सूत्रनी माफक टीका, चूर्णि, भाष्य, नियुक्ति आदि जुनी व्याख्याओ अने मूळनी जुनामा जुनी प्रतिओ भेगी करी सायन्टीफिक पद्धतिए तैयार करवामां आव्या छे. साथे एवी उत्तम रीते छपाववामां आव्या छे के जेथी आखा सूत्रनुं रहस्य वांचतांनी साथे ज, यंत्रने जोवनी माफक, आंखो आगळ तरी आवे छे. अंतमा जुदाजूदा पाठान्तरो पण आपवामां आव्यां छे. ऊंचा एन्टीक कागळ उपर सुंदर रीते छपावेलां होवा छतां त्रणे सूत्रोनी किंमत फक्त 2 // रूपिया छे. हवे थोडी ज प्रतिओ शिलकमां रहेली छे. मळवावें स्थानगुजरात पुरातत्त्वमंदिर भारत जैन विद्यालयः एलीसनीज, अमदाबाद. ) पो० डेक्कन जीमखाना, पूना सिटी. Aho ! Shrutgyanam