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अंक २] श्री महावीरनो समय-निर्णय
[ ११३ आप जोईए नहि. तेम छतां, उपरोक्त मितिओमा एक एवी मिति छे जेने बौद्धो साधारण रीते बराबर जाणता होवा जोईए; अने ते अन्य कोई महि पण ते बीजी सभानी तारीख छे. आ समा बुद्ध पछी १०० वर्षे मळी तेम चु० ५० १२, ११ मां जणावेलुं छे. ते तारीख साची हो या न हो, अथवा सभा पण मळी हो या न हो तेनी साथे आपणने आ स्थळे काम नथी 70 आपणो मुख्य मुद्दो जे छ, ते ए छेके आ वर्ष सिलोननी कालगणनामां एक महत्वतुं प्रारंभकेन्द्र हतुं अने मारी रद्ध मान्यता छ के सिलोनना भिक्षुओ, प्राचीन परंपराओ द्वारा जाणता हता के आ सैकुंकालासाकना शासनना बराबर १० मा वर्ष पछी आवतु हतु. आ विषयमा एक वार फरीथी हुंमात्र बुद्धघोषनी, एक जरा विषयान्तर बतावती, हकीकत उपर भार मूकवा मागु छु; कारण के तेने लईने कदाच आपणने कोई रीते कालासोकना पहेलांना राजाओनी यादीमा काई फेरफार करवो पडे. परंतु तेना समय पुर्वेनी बीनाओ, महान् अशोकनी मितिने असर करती नथी; कारण के ते वखते तेना आभिषेकना संबंधमां एपी चोक्कस परंपरा प्रच. लित हती के तेनो अभिषेक बीजा संघमिलन पछी ११८ वर्ष बाद अने बुद्ध पछी २१८ वर्ष थयो हतो, हवे मिर्णीत कालगणनाना आधारे गणत्री करतां अभिषेकनी आ मिति इ. स. पूर्वे २६०-५९ मां आवे खरी, पण शिलालेखो साथे तेनो मेळ मेळवी शकाय तेम नथी.
ए तो निःसंदेह छे के अशोकनी समय-गणना, सघळा तारीखवाळा शिलालेखोमा स्पष्ट जोवामां आवे छे ते प्रमाणे, अभिषेकना वर्षथी थाय छे. 71 परंतु आपणे उपर गणत्री करी छ के तेनो अभिषेक इ. स. पूर्वे २७२-२७० नी वच्चे थयो हशे. आ उपरथी बुद्धनिर्वाण स्पा रीते इ. स. पूर्वे ४९०-४८८ नी वचमां आवे छे, जे साल जनरल कनिंग्हाम अने प्रो. मेक्समूलरनी गणत्री साथे एक थती नथी. पण अहीं एक बीजी बाबत पण विचारणीय छे.
बौद्ध अहेवालो अनुसार, अशोक तेना राज्यकाळना प्रथम भागमां अथवा शरुआतमां नास्तिक हतो अने अभिषेक बाद त्रण वर्षे ते बौद्धधर्ममा दाखल थयो 72 हतो. आ बाबत घणी महत्त्वनी छे कारण के प्रायः करीने अशोकना पोताना कथनो साथे ए संमत थाय छे. खडक उपरनी आज्ञा नं. १३ नी सुप्रसिद्ध उपोद्घातमा जणाव्युं छे के
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आथी कलिंगनी जीत इ. स. पूर्वे २६४-२६२ वर्षोनी वचमां थई हशे अने आ पछी तरतज राजाए थएला नरसंहार अने रक्तप.तनो पश्चात्ताप करवा मांडयो अने केटलाक प्रमाणमां ते नवीन धर्ममार्गी बन्यो. आगळ उपर ते सहसाराम वगेरे आशामां जणावे छे के हुँ अढी वर्ष करतां वधारे वखत सुधी मन्दोत्साही (उपासक) हतो. परंतु त्यार बाद एक वर्षथी दृढ उत्साही थई संघनो सभ्य बन्यो छु.
अधिकान् (f) अढातियानि वसानि य हकं (उपासके) नो तु खो बाढं पकते हुसं एकं स (म)वछरं सातिरेके तु खो स (म्) वछर् [अ] म् यं मये संघे उपयीते बादं च मे पकते.
70. आ मत मारो नथी. कारण के आ संबंघमा बौद्धपरंपराने मुख्य पणे निर्मूल ठराववाना हेतुथी R. 0. Franke ए बतावेली सघळी दलीलोथी पण हजी मने खात्री थई नथी.
71. खडक उपर कोतरेली आज्ञा नं. १३ मां ८ मा वर्ष ( कालिंगनी जीत ) थी ते २६ मा वर्ष (स्तंभआज्ञा. १ ४ अने ५.) अने २७ मा वर्ष ( स्तंभ-आज्ञा ७) सुधीनी तारीखो.
72. दीपवंश. ६, १८; वळी प्रक्षिप्त गाथा ६, २४ मां आभिषेक बाद त्रण वर्षे धर्मपरिर्वतन जणावेलंछे. 73. शाहाबाझगढी. एपि. इन्टि. २, ४६२.
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