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जैन साहित्य संशोधक
[ खंड २
बीजो पण एक आवो ज दाखलो आवेलो छे; पण अन्य कोई पण प्रमाणथी ए नकामो छे एम सिद्ध थई शके तेम नथी, तेथी एमांथी ए निष्कर्ष काढी शकाय के देवदत्तनो धर्मविरोध थया पछी पण महावीर जीवता हता. आ बनाव प्रो. ह्राइस डेवीड्सना 39 प्रमाण पुरःसर धारबा प्रमाणे बुद्धना निर्वाण पहेलां दस वर्षे बन्यो हतो.
प्रो. जेकोबी 40 एक उपयोगी बाबत उपर ध्यान खेचे छे, के जैनोना प्राचीन आगमो मां बुद्ध अने तेना अनुयायीओनो बीलकुल उल्लेख थयो नथी, तेथी आ बाबत, बुद्ध अने महावीर समकालीन होवा छतां बने ते नवाई जेवुं गणाय, अने ते उपरथी ए एवा अनुमान उपर आवे छे के महावीरना समयमां बौध्दोनुं घणुं महत्व नहिं वध्युं होय. गमे तेम हो, हुं आ अनुमानने मळतो थई शकुं नहि, केम के अनुमानानी प्रतिज्ञा जोईए तेवी खरी नथी. सिद्धान्तोमां केटांप स्थळे अन्य संप्रदायोनी साथै बौद्धोनो पण खुल्लेखुल्लो निर्देश थपलो जोवामां आवे छे. 41 वळी; आनुं कारण केटलेक अंशे जैन सिद्धान्तनी रचना पण होय. बुद्ध महावीरनो प्रतिस्पर्धी हतो ए निःसंदेह छे अने भयंकर पण गणाय खरो, परंतु ते मंखलिपुत्त गोशालना जेवो द्रोही भने द्वेषीलो शत्रु तो नहोतो ज. कारण, मंखलिपुत्त गोशाले महावीरना धर्ममांथी नोकळी जई पोतानो स्वतंत्र मत स्थाप्यो अने आटलेथी ज संतोष नहि मानी पोताना गुरुना करतां वे वर्ष पहेलां तीर्थकरपद प्राप्त कर्यानी घोषणा करवा मांडी हती. आ बीना नवीन स्थापित थला संघने ( धार्मिक समाजने ) एक भीतिजनक आघात पहचाडे ए स्वाभाविक छे, अने तेथी करीने आ तत्त्वज्ञानी 42 के जेने बुद्ध पण एक महान् दुराशयी पाखंडी 48 तरीके वर्णवे छे, तेना उपर जैन शास्त्रमां पण गाळो अने शापोनो वरसाद बरसावेलो जोवामां आवे तो तेथी नवाई पामवा जेवुं नथी. आ प्रमाणे प्राचीन काळना जैनोने बुद्धना करतां गोशाल वधारे महत्त्वनो पाखंडी लाग्यो होय. आ उपरांत जैनोना सिद्धान्त ग्रंथो जे पाली सिद्धान्त पछी घणां वर्षे हालना रूपमां ग्रथित करवामां आव्या, तेने बौद्धोना आगमो 44 साथे सरखावी शकाय नहि. हुं आधी एम कांई सूचववा नथी मांगतो के बुद्ध अने तेना मतविषयक प्राचीन हकीकत सूत्रोमांथी पुस्तकारूढ करनाराओए काढी नाखी छे. परंतु हुं बे बाबतो तरफ वाचकनुं खास ध्यान खेचवा मागुं हुं के जे प्रो. जेकोबी माने छे तेम केटलेक अंशे अर्थोंबोधन करे छे.
(१) जे दृष्टिवाद नामनुं अंग व्युच्छिन्न थयुं छे तेमां कदाच बौद्धोना संबंधमां कांई
39. जुओ, हेस्टींग्सनी एन्साइक्लोपीडीआ पु. ४. पृ. ६७६.
40. कल्पसूत्र, पृ. ४.
41. सरखावोः दा० त० वेबरनुं इंडी. स्टडी० १६, ३३३.३८१ अने सूत्रकृतांग २, ६, २६ से० बु० इ०, पु० ४५, पृ० ४१४.
42. भगवती, शतक १५ नो डॉ. हॉर्नलनो संक्षेप, उवासग्गदसाओ, परिशिष्ट १,
43. जुओ, अंगु० निकाय ० १ ३३, २८६.
44. पूर्वकालमा चौद पूर्वोनुं विद्यमानपणुं दृष्टिवाद व्युच्छिन्न थवाथी अंगोनी अपूर्णता अने श्वेताम्बरोना . वर्तमानकालीन आगमोने प्रमाण मानवामां दिगंबरानी चोक्खी ना; आ सर्वे हकीकत एम सूचवे छे के गुरुशिष्यपरंपरा द्वारा मळेला विद्यमान सिद्धान्त ग्रंथो अपेक्षाकृत अर्वाचीन काळना छे.
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